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________________ श्यावारोकाभ्याम् .00 श्यावारोकाभ्याम् - V. iv. 144 श्रवण... -IV. .5 श्याव तथा अरोक शब्दों से उत्तर (दन्त शब्द को . देखें-श्रवणाश्वत्थाभ्याम् IV. 1.5 विकल्प से दतृ आदेश होता है, बहुव्रीहि समास में)। ...श्रवण... - IV. 1. 23 श्याव = कपिश, गहरे भूरे रंग का। देखें-फाल्गुनीश्रवणाo IV.ii. 23 अरोक = कान्तिहीन, मलिन,धुंधला। श्रवणाश्वत्थाभ्याम् -IV. 1.5 (ततीयासमर्थ नक्षत्रवाची) श्रवण तथा अश्वत्थ शब्दों श्येन.. - VI. ii. 70 देखें-श्येनतिलस्य VI. iii. 70 से (युक्तः कालः अर्थ में विहित प्रत्यय का संज्ञाविषय में सर्वत्र लुप् होता है)। श्येनतिलस्य-VI. iii.70 श्येन तथा तिल शब्द को (पात शब्द के उत्तरपद रहते अविष्ठा.. - IV. iii. 34 देखें - अविष्ठाफल्गुन्यनु० IV. iii. 34 तथा ज प्रत्यय के परे रहते मुम् आगम होता है)। श्रविष्ठाफल्गुन्यनुराधास्वातितिष्यपुनर्वसुहस्तविशाखाषा...श्यो: - VI. iv. 136 ढाबहुलात् - IV. iii. 34 देखें-डिश्यो : VI. iv. 136 श्रविष्ठा, फल्गुनी, अनुराधा,स्वाति,तिष्य,पुनर्वसु.हस्त, अ.. -VI.ii. 25 विशाखा, अषाढा तथा बहुल प्रातिपदिकों से (जातार्थ में देखें-अज्यावमO VI. ii. 25 उत्पन्न प्रत्यय का लुक् होता है)। -v. iii. 60 (प्रशस्य शब्द के स्थान में अजादि अर्थात् इष्ठन्,इयसुन् ...प्राणा... -IV.1.42 देखें-क्त्यमत्रावपना IV. 1. 42 प्रत्यय के परे रहते) श्र आदेश होता है। प्राणा.. - IV. iv.67 'अज्यावमकन्यापवत्सु-VI. ii. 25 देखें-श्राणामांसौदनात् IV. iv.67 श्र,ज्य, अवम,कन् तथा पापवान् शब्द के उत्तरपद रहते श्राणामांसौदनात् - IV. iv. 67 (कर्मधारय समास में भाववाची पूर्वपद को प्रकृतिस्वर प्रथमासमर्थ) श्राणा तथा मांसौदन प्रातिपदिकों से होता है)। (इसको नियत रूप से दिया जाता है' अर्थ में टिठन ...श्रद्धा... -V.ii. 101 प्रत्यय होता है)। देखें-प्रज्ञाश्रद्धाov.ii. 101 श्रातः -I.. 35 ..श्रद्धाभ्यः -III. ii. 158 (वेदविषय में) श्राताःशब्द का निपातन किया जाता है। देखें-स्पहिगृहिO III. ii. 158 ...अन्य -III. iii. 107 श्राद्धम् - V.i.85 देखें-ण्यासश्रन्यः III. iii. 107 (भुक्त क्रिया के समानाधिकरण वाले) प्रथमासमर्थ ब्रमणादिभिः - II.i. 69 श्राद्ध प्रातिपदिक से (इसके द्वारा' अर्थ में इनि और ठन प्रत्यय होते हैं)। (कुमार शब्द समानाधिकरण) श्रमण आदि (समर्थ सुबन्त) शब्दों के साथ (विकल्प से समास को प्राप्त होता श्राद्ध - IV. iii. 12 है और वह समास तत्पुरुषसंज्ञक होता है)। (कालवाची शरत् शब्द से) श्राद्ध अभिधेय हो तो अयति... -III. iii. 49 (शैषिक ठञ् प्रत्यय होता है)। देखें-अयतियौतिक III. iii. 49 ...श्रि.. - IIL.1.48 प्रयतियौतिपूद्रुक - III. il. 49 देखें-णिश्रिद्स्नुभ्यः III. I. 48 (उत् पूर्वक) श्रि, यु, पू तथा तु धातुओं से (कर्तृभिन्न नि.. - III. III. 24 कारक संज्ञा तथा भाव में घञ् प्रत्यय होता है)। देखें-त्रिणीभुक III. III. 24
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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