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________________ 500 ...शमि... शब्दश्लोककलाहगाथावरचाटुसूत्रमन्त्रपदेषु - II. II. . 23 शब्द,श्लोक,कलह, गाथा,वैर,चाटु,सूत्र, मन्त्र,पदइन (कर्मो) के उपपद रहते (कृञ् धातु से ट प्रत्यय नहीं होता)। शब्दसज्ञायाम् -VIII. 11.86 (अभि तथा निस् से स्तन धातु के सकार को) शब्द की सञ्ज्ञा गम्यमान हो तो (विकल्प से मूर्धन्य आदेश हो जाता है)। शप-II. 1.72 शप् का (लुक होता है, अदादियों से परे)। ...शपाम् -I. iv. 34 देखें-श्लाघहाइस्थाशपाम् I. iv.34 शपि-VI. iv.25 (दंश, सञ्ज, वजाइन अङ्गों की उपधा नकार का लोप होता है) शप प्रत्यय परे रहते। शश्यनोः - VII.1.81 शप और श्यन का (जो शत प्रत्यय उसको नित्य ही नुम् आगम होता है)। ...शफ... -V.1.70 देखें -संहितशफलक्षण IV. 1.70 शब्द... - III.1.17 देखें- शब्दवैरकलहाo III.1.17 शब्द..-III. 1. 23 देखें - शब्दश्लोक III. II. 23 शब्द.. - IV. iv. 34 देखें - शब्ददर्दुरम् IV. iv. 34 ...शब्दकर्म... - I. iv. 52 देखें- गतिविनत्यवसानार्थI. .52 शब्दकर्मणः -I. 1. 34 शब्दकर्मवाले (वि उपसर्ग) से उत्तर (कन धात से आत्मनेपद होता है)। शब्ददर्दुरम् - IV. iv. 34 द्वितीयासमर्थ) शब्द और दर्दुर प्रातिपदिकों से (करता है- अर्थ में ठक प्रत्यय होता हैं)। दर्दुर = मेंढक, बादल, वाद्य, पहाड़। ...शब्दप्रादुर्भाव... - II.1.7 देखें-विभक्तिसमीपसमृद्धि II.1.1 शब्दवैरकलहाकण्वमेवेभ्यः - III. 1. 17 शब्द, वैर, कलह, अभ्र,कण्व,मेष - इन (कर्म) शब्दों से (करण अर्थ में क्यङ्प्रत्यय होता है)। अभ्र = बादल, आकाश, अबरक,शून्य। कण्व = एक ऋषि। (व्याकरण शास्त्र में) शब्द के (अपने रूप का ग्रहण होता. है.उसके अर्थ अथवा पर्यायवाची शब्दों का नहीं,शब्द- . संज्ञा को छोड़कर)। शब्दानुशासनम् - (यहां से) लौकिक तथा वैदिक शब्दों का अनुशासन ... = उपदेश आरम्भ करते हैं। शब्दार्थप्रकृतौ - VI. ii. 80 शब्दार्थवाली प्रकृति है जिन (णिनन्त) शब्दों की,उनके उत्तरपद रहते (ही उपमानवाची पूर्वपद को आधुदात्त होता डा . ...शब्दार्थात् -III. I. 148 देखें-चलनशब्दार्थात् III. I. 148 ...शब्देषु-VI. 11.55 देखें-घोषमिश्र०VI.III.55 . ...शम्... -IV.iv. 143 देखें-शिवशमरिष्टस्य IV. iv. 143 शमाम् - VII. iil.74 शम् इत्यादि (आठ) अङ्गों को (श्यन् परे रहते दीर्घ होता है)। शमि-III. ii. 14 शम् उपपद रहते (धातुमात्र से संज्ञा-विषय में अच प्रत्यय होता है)। ....शमि.. - VII. Iii. 95 देखें-तुरुस्तु. VII. II. 95 ....शमि... - VIII. iii. 96 देखें-विकुशमि० VIII. 11.96 . " ...
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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