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________________ शतमानविंशतिकसहस्रवसनात् 499 शप... शतमानविंशतिकसहस्रवसनात् - V.. 27 शतमान, विंशतिक, सहस्र तथा वसन प्रातिपदिक से (तदर्हति'-पर्यन्त कथित अर्थों में अण प्रत्यय होता है)। शतसहस्रान्तात् - V.ii. 119 शतशब्द अन्तवाले तथा सहस्र शब्द अन्त वाले (निष्क प्रातिपदिक से भी 'मत्वर्थ' में ठक प्रत्यय होता है)। ...शतस्य-V.iv.1 देखें-पादशतस्य V. iv. 1 शतात् -V.1.21 शत प्रातिपदिक से (तदर्हति'-पर्यन्त कथित अर्थों में ठन और यत् प्रत्यय होते हैं,यदि सौ अभिधेय न हो तो)। ...शतात् - V.i. 34 देखें-पणपादमाष० V.i.34 शतादि... - V. ii. 57 देखें-शतादिमासov.ii. 57. शतादिमासार्द्धमाससंवत्सरात् -v.ii. 57 (षष्ठीसमर्थ) शतादि प्रातिपदिकों से तथा मास, अर्द्ध- मास और संवत्सर प्रातिपदिकों से (पूरण' अर्थ में विहित डट् प्रत्यय को तमट का आगम नित्य ही हो जाता है)। शतुः -VI. 1. 167 (नमरहित अन्तोदात्त) शतप्रत्ययान्त शब्द से परे (नदीसञ्जक प्रत्यय तथा अजादि सर्वनामस्थानभिन्न विभक्ति को उदात्त होता है)। शतुः - VII. . 37 . (विद ज्ञाने' धात से उत्तर शत के स्थान में (वस आदेश होता है)। . शतुः - VII. 1.78 . (अभ्यस्त अङ्ग से उत्तर) शतृ को (नुम् आगम नहीं होता है)। शत... - III. ii. 124 देखें- शतृशानचौ III. ii. 124 शत-III. ii. 130 .. (इङ् तथा ण्यन्त धृङ् धातु से वर्तमान काल में) शत प्रत्यय होता है,(यदि जिसके लिये क्रिया कष्टसाध्य न हो, • ऐसा कर्ता वाच्य हो तो)। शतृशानचौ-III. 1. 124 (धातु से लट् के स्थान में) शतृ तथा शानच आदेश होते हैं, (यदि अप्रथमान्त के साथ उस लट् का सामानाधिकरण्य हो)। ...शद... - III. ii. 159 देखें-दाघेट III. ii. 159 ...शद... -VII. iii. 78" देखें- पानामा० VII. iii. 78 शदन्त... -Vii.46 देखें-शदन्तविंशत: v. ii. 46 शदन्तविंशते: - V.ii. 46 (अधिक समानाधिकरणवाची) शत शब्द अन्त में है जिसके, ऐसे तथा विंशति प्रातिपदिक से (भी सप्तम्यर्थ । में ड प्रत्यय होता है)। ...शदन्ताया-v.i. 22 देखें- अतिशदन्तायाः V.1.22 शः -I. iii. 60 शित सम्बन्धी) 'शदल शातने' धातु से (आत्मनेपद होता है। शदेः - VII. iii. 42 (अगति अर्थ में वर्तमान) शदल शातने' अङ्गको (तकारादेश होता है,णि परे रहते)। ...शध्यै... -III. iv.9 देखें - सेसेनसे III. iv.9 ...शध्यन्... -II. iv.9 देखें - सेसेनसे० .III. iv.9 शनेलचः -V.ii. 100 (लोमादि,पामादि तथा पिच्छादि-इन तीन गणपठित प्रातिपदिकों से यथासंख्य करके विकल्प से) श,न तथा इलच् प्रत्यय होते हैं, मत्वर्थ' में। शप् -III. I. 68 (धातु से) शप् प्रत्यय होता है.(कर्तृवाची सार्वधातक परे रहते)। शप... - VII. 1.81 देखें-शश्यनो: VII.i. 81
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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