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________________ 493 वे: -VIII. iii.69 समर्थ प्रातिपदिक से) 'जानता है' अर्थ में (यथाविहित वि उपसर्ग से उत्तर (तथा चकार से अव उपसर्ग से अण् प्रत्यय होता है)। उत्तर भोजन अर्थ में स्वन् धातु के सकार को मूर्धन्य ...वेदि...-III. I. 138 आदेश होता है,अड्व्यवाय एवं अभ्यासव्यवाय में भी)। देखें-लिम्पविन्द III.. 138 वे:-VIII. iii. 73 वेदिः - V. iv.84 वि उपसर्ग से उत्तर (स्कन्दिर् धातु के सकार को निष्ठा । (द्विस्तावा तथा त्रिस्तावा शब्द का निपातन किया जाता परे न हो तो विकल्प से मर्धन्य आदेश होता है। है) यज्ञ की वेदि अभिधेय हो तो। के -VIII. iii.77 ...वेपाम् - VII. iii. 37 देखें-शाच्छासा० VII. iii.37 वि उपसर्ग से उत्तर (स्कन्भु धातु के सकार को नित्य ...वेपाम् - VIII. iv. 33 वाम ही मूर्धन्य आदेश होता है)। देखें-भाभूपू०VIII. iv. 33 वेजः -II. iv. 41 ...वेलासु-III. 1. 167 वेज के स्थान में (विकल्प से वयि आदेश होता है; लिट् देखें - कालसमयवेलासु III. iii. 167 आर्धधातुक परे रहते)। ...वेवी... -I..6 वेज - VI... 39 देखें-दीधीवेवीटाम् I. 1.6 ...वेव्योः वे धातु को (लिट् परे रहते सम्प्रसारण नहीं होता है)। - VII. iv. 53 देखें-दीधीवेव्योः VII. iv.53 वेणु... - VI.i. 149 वेशन्त.. - IV. iv. 112 देखें - वेणुपरिव्राजकयो: VI. 1. 149 देखें-वेशन्तहिमक्याम् IV. iv. 112 वेण... - VI..209 वेशन्तहिमवद्भ्याम् -IV. iv. 112 - देखें-वेण्विन्धानयोः VI.i. 209 (सप्तमीसमर्थ) वेशन्त और हिमवत् प्रातिपिदकों से वेणुपरिव्राजकयो: - VI. 1. 149 (वेदविषय में 'भव' अर्थ में अण प्रत्यय होता है)। . (मस्कर तथा मस्करिन् शब्द यथासङ्ख्य करके) बांस वेशस्... -Viv. 131 . तथा सन्यासी अभिधेय हों तो (निपातन किये जाते हैं)। देखें-वेशोयशादेः VI. iv. 131 वेण्विन्यानयोः - VI.1. 209 वेशोयशादे -IV. iv. 131 वेण तथा इन्धान शब्दों के (आदि को विकल्प से उदात्त वेशस और यशस आदि वाले (भग शब्दान्त) प्रातिपहोता है)। दिक से (मत्वर्थ में यल् प्रत्यय होता है; वेदविषय में)। वेतनादिभ्यः - IV. iv. 12 ...वेषात् - V.i.99 (तृतीयासमर्थ) वेतनादि प्रातिपदिकों से (जीता है' देखें-कर्मवेषात् V. 1.99 इस अर्थ में ठक् प्रत्यय होता है)। वेष्टि.. -VII. iv.9 ...वेतसेभ्यः -IVii. 86 । । देखें-वेष्टिचेष्ट्योः VII. iv.96 देखें-कुमुदनडवेतसेभ्यः IV.ii. 86 वेष्टिचेष्ट्योः -VII. iv.96 क्तेः - VII.i.7 वेष्ट तथा चेष्ट अङ्ग के (अभ्यास को णि परे रहते . विट् अङ्ग से उत्तर (झ के स्थान में हुआ जो अत् आकारादेश होता है)। आदेश,उसको विकल्प से रुट का आगम होता है)। ...वेहद... -II.1.64 वेद-IV.ii. 58 देखें-पोटायुवतिस्तोक II.1.64 (द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से 'अध्ययन करता है' अर्थ वै... - VIII.1.64 ' में यथाविहित अण प्रत्यय होता है, इसी प्रकार द्वितीया- देखें-वैवाव VIII.1.64
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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