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________________ ...वासिषु 476 ...विकस्ताः ...वासिषु -VI. iii. 17 देखें-शयवासवासिषु VI. iii. 17 वासी-IV. iv. 107 (सप्तमीसमर्थ समानतीर्थ प्रातिपदिक से) रहने वाला अर्थ में (यत् प्रत्यय होता है)। वासुदेव... - IV. iii. 98 . देखें - वासुदेवार्जुनाभ्याम् IV. ii. 98 वासुदेवार्जुनाभ्याम् – IV. iii. 98 (प्रथमासमर्थ भक्तिसमानाधिकरणवाची) वासुदेव तथा अर्जुन शब्दों से (षष्ठ्यर्थ में वुन् प्रत्यय होता है)। ...वास्तोष्पति... - IV. ii. 31 देखें - द्यावापृथिवीशुना० IV.ii. 31 ...वास्त्व... - VI. iv. 175 देखें-ऋव्यवास्त्व्य.VI. iv. 175 ...वास्त्व्य .. -VI. iv. 175 देखें-ऋव्यवास्त्व्य० VI. iv 175 वाहः - IV. 1.61 वाहन्त (अनुपसर्जन) प्रातिपदिक से (स्त्रीलिङ्ग में वेदविषय में ङीष् प्रत्यय होता है)। वाह - VI. iv. 132 (भसज्ञक वाह अन्तवाले अङ्ग को (सम्प्रसारणसञक ऊठ होता है)। ...वाहन... -VI. iii.57 देखें-पेवास. VI. iii. 57 वाहनम् - VIII. iv.8 (आहितवाची पूर्वपदस्थ निमित्त से उत्तर) वाहन शब्द के (नकार को णकारादेश होता है)। वाहीकग्रामेभ्यः - IV.ii. 116 वाहीक देश के जो ग्राम,तद्वाची (वृद्धसंज्ञक) प्रातिपदिक से (भी शैषिक ठञ् और जिठ् प्रत्यय होते हैं)। वाहीकेषु - V. iii. 114 वाहीक देशविषय में (शस्त्र से जीविका कमाने वाले पुरुषों के समूहवाची प्रातिपदिकों से स्वार्थ में ज्यट् प्रत्यय होता है, ब्राह्मण और राजन्य को छोड़कर)। ...वि.. -I. iii. 18 देखें-परिव्यवेण्यः 11.18 वि...-I. iii. 19 देखें-विपराभ्याम् I. iii. 19 वि... -I. iii. 83 देखें - व्याड्यरिभ्य: I. 11. 83 वि... -II. iii. 57 देखें - व्यवहपणोः II. iii. 57 वि... -III. ii. 180 देखें-विप्रसम्भ्यः III. ii. 180 वि... -III. iii. 39 देखें-व्यूपयोः III. iii. 39 ...वि... -III. iii. 82 देखें- अयोविद्रुषु III. iii. 82 वि... - V.ii. 27 देखें-विनभ्याम् V.ii. 27 ...वि... - VI. iii. 109 देखें-संख्याविसाय. VI. iii. 109 ...वि... -VIII. iii. 72 देखें-अनुविपर्य० VIII. iii. 72 ...वि... - VIII. iii. 88 देखें -सुविनिर्दुर्थ्य: VIII. iii. 88 वि... - VIII. iii. 96. देखें-विकुशमि० VIII. iii.96 ...वि...-VIII. iii. 119 देखें-निव्यभिभ्य: VIII. iii. 119 विकर्ण... -IV.i. 117 देखें-विकर्णशङ्ग IV.i. 117. विकर्ण... - IV. 1. 124 देखें-विकर्णकुषीतकात् IV.i. 124 विकर्णकुषीतकात् – IV. 1. 124 विकर्ण तथा कुषीतक शब्दों से (काश्यप अपत्यविशेष को कहना हो तो ढक् प्रत्यय होता है)। विकर्ण = एक कुरुवंशी राजकुमार। विकर्णशुङ्गच्छगलात् - IV. 1. 117 विकर्ण,शङ्ग,छगल शब्दों से (यथासङ्ख्य करके वत्स, भरद्वाज और अत्रि अपत्य-विशेष कहना हो तो अण् प्रत्यय होता है)। ...विकस्ताः -VII. 1. 34 देखें- ग्रसितस्कभित० VII. 1. 34
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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