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________________ वा वा - IV. iii. 155 (षष्ठीसमर्थ उमा तथा ऊर्जा प्रातिपदिक से) विकल्प से (विकार अवयव अर्थों में वुम् प्रत्यय होता है)। वा - IV. iii. 162 (षष्ठीसमर्थ जम्मू प्रातिपदिक से विकार, अवयव अर्थों में फल अभिधेय हो तो) विकल्प से (अण् प्रत्यय होता है)। वा - IV. iv. 45 (द्वितीयासमर्थ सेना प्रातिपदिक से 'इकट्ठा होता है'अर्थ में) विकल्प से (ण्य प्रत्यय होता है, पक्ष में ढक् प्रत्यय होता है)। वा - V. 1. 23 (वतुप्रत्ययान्त सङ्ख्यावाची प्रातिपदिक से 'तदईति - पर्यन्त कथित अर्थों में कन् प्रत्यय होता है तथा उस कन् को) विकल्प से (इट् आगम होता है)। वा - V. 1. 35 (अध्यर्द्धशब्द पूर्व वाले तथा द्विगुसज्जाक शानशब्दान्त प्रातिपदिक से 'तदर्हति — पर्यन्त कथित अर्थों में) . विकल्प से (यत् प्रत्यय होता है)। वा - V. 1. 59 (पञ्चत् और दशत्-ये तिप्रत्ययान्त शब्द तदस्य परिमाणम्' विषय में 'वर्ग' अभिधेय होने पर) विकल्प से (निपातन किये जाते हैं) । वा. - V. 1. 85 (द्वितीयासमर्थ समाशब्दान्त द्विगुसञ्चक प्रातिपदिक से 'सत्कारपूर्वक व्यापार', 'खरीदा हुआ', 'हो चुका' तथा 'होने वाला' अर्थों में) विकल्प से (ख प्रत्यय होता है)। वा - V. 1. 121 (षष्ठीसमर्थ पृथ्वादि प्रातिपदिकों से 'भाव' अर्थ में इमनिच् प्रत्यय) विकल्प से होता है। वा - V. it. 43 (प्रथमासमर्थ द्वि तथा त्रि प्रातिपदिकों से षष्ठ्यर्थ में विहित तयप् प्रत्यय के स्थान में) विकल्प से (अयच आदेश होता है। 471 al-V. ii. 77 (ग्रहण क्रिया के समानाधिकरण पूरणप्रत्ययान्त प्रातिपदिक से स्वार्थ में कन् प्रत्यय होता है तथा) विकल्प से (पूरण प्रत्यय का लुक भी हो जाता है)। वा वा - V. 1. 93 (इन्द्रियम् शब्द का निपातन किया जाता है, जीवात्मा का चिह्न, जीवात्मा के द्वारा देखा गया, जीवात्मा के द्वारा सृजन किया गया, जीवात्मा के द्वारा सेवित ईश्वर के द्वारा दिया गया- इन अर्थों में) विकल्प से 1 वा - V. iii. 13 (वेदविषय में सप्तम्यन्त किम् शब्द से) विकल्प से (ह प्रत्यय भी होता है)। वा - V. iii. 78 (बहुत अच् वाले मनुष्यनामधेय प्रातिपदिक से अनुकम्पा गम्यमान होने पर) विकल्प से (ठच् प्रत्यय होता है, पक्ष में क)। वा - V. iii. 93 (जाति को पूछने विषय में किम् यत् तथा तत् प्रातिपदिकों से बहुतों में से एक का निर्धारण गम्यमान हो तो) विकल्प से उतमच् प्रत्यय होता है। वा - V. Iv. 133 (साविषय में धनुष्-शब्दान्त बहुव्रीहि को) विकल्प से (समासान्त अनङ् आदेश होता है)। वा - VI. 1. 73 (दीर्घ से उत्तर जो छकार, उसके परे रहते दीर्घ को तुक् का आगम होता है तथा पदान्त दीर्घ से उत्तर छकार परे रहते पूर्व पदान्त दीर्घ को) विकल्प से (तुक् आगम होता है, संहिता के विषय में) । वा - VI. 1. 89. (सुबन्त अवयव वाले ऋकारादि धातु के परे रहते अवर्णान्त उपसर्ग से उत्तर, पूर्व-पर के स्थान में संहिता के विषय में, आपिशलि आचार्य के मत में) विकल्प से (वृद्धि एकादेश होता है)। वा - VI. 1. 96 (आम्रेडित सबक जो अव्यक्तानुकरण का अत् शब्द उसे इति परे रहते पररूप एकादेश नहीं होता, किन्तु जो उस आम्रेडित का अन्त्य तकार, उसको विकल्प से (ररूप होता है, संहिता के विषय में)। वा - VI. 1. 102 (दीर्घ से उत्तर जस् तथा इच् प्रत्याहार परे रहते वेदविषय में पूर्व-पर के स्थान में पूर्वसवर्ण दीर्घ एकादेश) विकल्प से होता है।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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