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________________ 470 । वा-III. iv.2 वा-IV.I. 118 (क्रिया का पौनःपुन्य गम्यमान हो तो धातु से धात्वर्थ (षष्ठीसमर्थ पीला प्रातिपदिक से अपत्य अर्थ में) सम्बन्ध होने पर सब कालों में लोट प्रत्यय हो जाता है, विकल्प से (अण प्रत्यय होता है)। और उस लोट् के स्थान में हि और स्व आदेश नित्य होते वा-IV. 1. 127 हैं, तथा त, ध्वम्-भावी लोट् के स्थान में) विकल्प से (हि, स्व आदेश होते है)। (कुलटा शब्द से अपत्य अर्थ में ढक प्रत्यय होता है. तथा कुलटा को) विकल्प से (इनङ आदेश भी होता है)। वा-III. iv.68 (भव्य, गेय, प्रवचनीय, उपस्थानीय, जन्य, आप्लाव्य वा - IV.i. 131 और आपात्य शब्द कर्ता में) विकल्प से निपातन किये (क्षुद्रावाची प्रकृतियों से अपत्य अर्थ में) विकल्प से जाते है)। (दक् प्रत्यय होता है)। वा-III. iv.. वा- Iv.i. 165 (विद ज्ञाने घात से लडादेश तिप आदि जो परस्मैपद- (भाई से अन्य सात पीढियों में से कोई पद तथा आयु संज्ञक, उनके स्थान में क्रमशः णल, अतुस्, उस्, थल, दोनों से बूढ़ा व्यक्ति जीवित हो तो पौत्रप्रभृति का जो अथुस्, अ,णल, व,म-नौ आदेश) विकल्प से होते अपत्य, उसके जीते ही) विकल्प से (युवा संज्ञा होती है, पक्ष में गोत्र संज्ञा)। . . वा-III. iv. 8 वा - IV. ii. 82 (पूर्वसूत्र से जो लोट् को हि विधान किया है, वह वेद- (शर्करा शब्द से उत्पन्न चातुरर्थिक प्रत्यय का) विकल्प विषय में) विकल्प से (अपित होता है)। से (लुप होता है)। वा-III. iv.96 वा - IV. iii. 30 (लेट-सम्बन्धी जो एकार, उसके स्थान में ऐकारादेश) (सप्तमीसमर्थ अमावस्या प्रातिपदिक से 'जात' अर्थ में विकल्प से होता है, (आत ऐ' सूत्र के विषय को वुन् प्रत्यय) विकल्प से होता है। . छोड़कर)। वा-IV. iii. 36 वा-IV.i. 38 (वत्सशाल, अभिजित्, अश्वयुज, शतभिषज् प्रातिप(मनु शब्द से स्त्रीलिङ्ग में) विकल्प से (डीप प्रत्यय और दिकों से जातार्थ में उत्पन्न प्रत्यय का) विकल्प से (लुक औकार एवं ऐकार अन्तादेश भी हो जाता है और वह हो जाता है)। ऐकार उदात्त भी होता है)। वा - IV.ii. 127 वा-IV.i.44 (षष्ठीसमर्थ गोत्रप्रत्ययान्त शकल शब्द से) विकल्प से (उकारान्त गुणवचन प्रातिपदिक से स्त्रीलिङ्ग में) विकल्प (अण् प्रत्यय होता है,पक्ष में वुजू होता है)। से (ङीष् प्रत्यय होता है)। वा-IV. iii. 138 वा-IV.i. 53 (षष्ठीसमर्थ पलाशादि प्रातिपदिकों से) विकल्प से (अस्वाङ्ग जिसके पूर्वपद में है, ऐसे अन्तोदात्त क्तान्त (विकार, अवयव अर्थों में अञ् प्रत्यय होता है, पक्ष में बहुव्रीहि समासवाले प्रातिपदिक से) विकल्प से (स्त्रीलिङ्ग। में डीष् प्रत्यय होता है)। औत्सर्गिक अण् होता है)। वा- IV. 1. 82 वा- IV. iii. 140 (यहाँ से लेकर 'प्राग्दिशो विभक्तिःvi तक कहे (षष्ठीसमर्थ प्रातिपदिकों से भक्ष्य, आच्छादनवर्जित जाने वाले प्रत्यय,समथों में जो प्रथम उनसे) विकल्प से विकार तथा अवयव अर्थों में लौकिक प्रयोगविषय में) विकल्प से (मयट् प्रत्यय होता है)। होते हैं।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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