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________________ वचिस्वपियजादीनाम् 460 वत्स ... वतण्डात् - IV. 1. 108 वतण्ड शब्द से (भी आङ्गिरस गोत्र को कहना हो तो यञ् प्रत्यय होता है)। वतिः - V.i. 114 (तृतीयासमर्थ प्रातिपदिकों से 'समान' अर्थ में) वति प्रत्यय होता है; (यदि समानता क्रिया की हो तो)। ...वतु... -I.1.22 देखें-बहुगणवतुडति I.i. 22 वतप-v.ii. 39 (प्रथमासमर्थ परिमाणसमानाधिकरणवाची यत्, तत् तथा एतद् प्रातिपदिकों से षष्ठ्यर्थ में) वतुप् प्रत्यय होता वचिस्वपियजादीनाम् -VI.I. 15 - वच, जिष्वप् तथा यजादि धातुओं को (कित् प्रत्यय के परे रहते सम्प्रसारण हो जाता है)। ...वन... - VI. iii. 59 देखें-मन्यौदन VI. iii. 59 वचि.. -I. ii. 24 देखें-वञ्चिलुज्यतः I. ii. 24 वञ्चिलुच्यतः -1. ii. 24 वच, लुञ्च, ऋत् -इन धातुओं से परे (भी सेट् क्त्वा प्रत्यय विकल्प करके कित नहीं होता है)। वच... - VII. iv.84 देखें-वञ्चुत्रंसु० VII. iv.84 कञ्चुलंसुध्वंसुभ्रंशुकसपतपदस्कन्दाम् - VII. iv.84 वक्षु, स्रंसु, ध्वंसु, अंशु, कस, पत्लु,पद, स्कन्दिर् -इन धातुओं के (अभ्यास को यङ् तथा यङ्लुक परे रहते नीक आगम होता है)। को: - VII. iii. 63 (गति अर्थ में वर्तमान) वचु अङ्ग को (कवर्गादेश नहीं होता)। ...कञ्चयोः -I. iii. 69 देखें-गृधिवञ्च्योः I. 11.69 ...क्ट... - V.I. 120 देखें - अंचतुरमङ्गल० V. 1. 120 ...क्टम् - VI. ii. 82 देखें-दीर्घकाशo VI. 1.82 ...क्टेः-v.ii. 139 देखें-तुन्दिबलि० V.ii. 139 ...क्टर...-Nili. 118 देखें- क्षुद्राभ्रमर IV. iii. 118 ...वडवी-II. iv. 26 देखें - अश्ववडवौ II. iv. 26 वणिजाम् -III. ill. 52 वणिक्सम्बन्धी तत्त्व प्रत्ययान्त का वाच्य हो (ले प्र पूर्वक ग्रह धातु से कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में विकल्प से घञ् प्रत्यय होता है)। ...वतुषु -VI. iii. 88 देखें - दृक्दृश्वतुषु VI. iii. 88 . वते: -v.i. 18 (यहाँ से आगे) वतेः = 'तेन तुल्यं क्रिया चेदतिः सूत्र से पहले पहले तक (ठञ् प्रत्यय अधिकृत होता है)। वतोः - V.I. 23 वतप्रत्ययान्त सङ्ख्यावाची प्रातिपदिक से (तदर्हति'पर्यन्त कथित अर्थों में कन् प्रत्यय होता है तथा उस कन् को विकल्प से इट् आगम होता है)। वतो: - V. ii. 53 वतुप-प्रत्ययान्त प्रातिपदिक को (पूरण' अर्थ में विहित डट् प्रत्यय के परे रहते तिथुक् आगम होता है)। ...वत्स... -IV.i. 102 . देखें- भृगुवत्साग्रा० IV. 1. 102 वत्स.. -IV.i. 117 देखें-वत्सभरद्वाजा IV.i. 117 ...वत्स... -IV.ii. 38 देखें-गोत्रोझोष्टो IV. 1. 38 वत्स.. -V. 1. 98 देखें- वत्सांसाभ्याम् V. 1. 98 वत्स... - V. 11.90 देखें-वत्सोमा0 v. iii. 90
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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