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________________ लुप् सम्बन्ध के अप्रतीत होने से ) । लुप् – IV. ii. 4 (पूर्वसूत्र से नक्षत्रवाची शब्दों से विधान किये गये प्रत्यय का यदि सामान्यतया नक्षत्रयोग कहना हो तो) लुप् होता है। लुप् - IV. ii. 80 (झ्यन्त आवन्त प्रातिपदिक से देशसामान्य में जो चातुरर्थिक प्रत्यय, उसका प्रान्तविशेष को कहना हो तो) लुप् जाता है। लुप् - IV. iii. 163 (षष्ठीसमर्थ जम्ब प्रातिपदिक से फल अभिधेय होने पर विकारावयव अर्थों में विहित प्रत्यय का विकल्प से) लुप् (भी) होता है। लुप्... - V. ii. 105 देखें सुबलची VII. 105 -V. iii. 98 (संज्ञाविषय में विहित कन् प्रत्यय का मनुष्य होने पर) लुप् हो जाता है। - लुप... - III. 1. 24 देखें - लुपसदचर० III. 1. 24 - 454 ..लुपः I. 1. 60 देखें- लुक्स्लुलुप 1.1.60 लुपसदवरजपजभदादशगृभ्य III. 1. 24 लुप, सद, चर, जप, जभ, दह, दश, गुइन धातुओं से (भाव की निन्दा अर्थात् धात्वर्थ की निन्दा में ही यङ् प्रत्यय होता है)। - अभिधेय - gfa - I. ii. 51 प्रत्यय के लुप् अर्थात् अदर्शन होने पर उस प्रत्यय के अर्थ में लिङ्ग और संख्या प्रकृत्यर्थ के समान हों) । लुपि - II. iii. 45 लुबन्त (नक्षत्रवाची शब्द से (तृतीया और सप्तमी विभक्ति होती है। लुबिलची Vii. 105 (सिकता तथा शर्करा प्रातिपदिकों से 'देश' अभिधेय हो तो) लुप् और इलच् प्रत्यय (तथा अण् प्रत्यय विकल्प से होते हैं, मत्वर्थ में) । योगे - V. 1. 126 (बहुव्रीहि समास में) व्याध का सम्बन्ध होने पर (दक्षिणेर्मा' शब्द अनिच्-प्रत्ययान्त निपातन किया जाता है)। .. लुभ... - VII. ii. 48 'देखें - इषसहलुभo VII. 1. 48 लुभः - VII. 1. 54 (व्याकुल करने अर्थ में वर्तमान) लुभ् धातु से उत्तर (क्त्वा तथा निष्ठा को इट् आगम होता है)। लद लुमता - I. 1. 62 = लुमान् लुक्, श्लु, लुप् शब्दों से (प्रत्यय का अदर्शन हुआ हो तो उसके परे रहते जो अङ्ग, उस अङ्ग को जो प्रत्यय-लक्षण कार्य प्राप्त हों, वे नहीं होते) । ... लू... - III. ii. 184 देखें- अर्तिलूधू० III. 1. 184 लू... - III. 1. 33 देखें- लुलुटोः 111.1.33 लृङ् - III. iii. 139 (भविष्यत्काल में लिङ् का निमित्त होने पर क्रिया का उल्लंघन अथवा सिद्ध न होना गम्यमान हो तो धातु से) लृङ् प्रत्यय होता है। ..st: - II. iv. 50 देखें - लुडलुडो IIiv. 50 ... लृङ्क्षु - VI. iv. 71 देखें - लुड्लङ् VI. iv. 71 लृट् - III. 1. 112 (अभिज्ञावचन अर्थात् स्मृति को कहने वाला कोई शब्द उपपद हो तो धातु से अनद्यतन भूतकाल में) लुट् प्रत्यय होता है। लृट् - III. iii. 13 (धातु से केवल भविष्यत्काल में तथा क्रियार्थ क्रिया उपपद रहने पर भी भविष्यत्काल में) लृट् प्रत्यय होता है। लृट् - III. iii. 133 (शीघ्रवाची शब्द उपपद हो तो आशंसा गम्यमान होने पर धातु से) लुट् प्रत्यय होता है। लृट् – III. Iii. 146 (अनवक्लुप्ति तथा अमर्ष गम्यमान हों तो किंकिल तथा अस्ति अर्थ वाले पदों के उपपद रहते धातु से) लृट् प्रत्यय होता है।"
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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