SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 455
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 437 राक्ष... र्-प्रत्याहारसूत्र XII आचार्य पाणिनि द्वारा अपने तेरहवें प्रत्याहारसूत्र में इत्सद्धार्थ पठित वर्ण। र... - VIII. ii. 76 . देखें-वों: VIII. 1.76 र... -VI. iv. 47 देखें- रोपघयोः VI. iv. 47 र - प्रत्याहारसूत्र V आचार्य पाणिनि द्वारा अपने पञ्चम प्रत्याहारसूत्र में पठित चतुर्थ वर्ण। पाणिनि द्वारा अष्टाध्यायी के आदि में पठित वर्णमाला का तेरहवां वर्ण। । र-IV.i.7 (वमन्त प्रातिपदिकों से स्त्रीलिङ्ग में डीप् प्रत्यय होता है, तथा उस वमन्त प्रातिपदिक को) रेफ अन्तादेश भी होता ' ...... -IV. 1.79 देखें-दुच्छण्कठ० IV. ii. 79 . र.. -V. iii.4 देखें- रथो: V.iii.4 ....... -VII. 1.2 ' देखें- बान्तस्य VII. il.2 र... -VIII. 1.42 देखें-रदाभ्याम् VIII. ii. 42 र..-VIII. iv.1 देखें - रषाभ्याम् VIII. iv.1 र... -VIII. iv. 45 देखें- रहाभ्याम् VIII. iv. 45 र:-III. ii. 167 (णम, कपि, मिङ्, नपूर्वक जसु, कमु, हिंस, दीपी - इन धातुओं से वर्तमानकाल में तच्छीलादि कत्तो हो तो) र प्रत्यय होता है। --V.ii. 107 . (ऊप.सषि मष्क तथा मधु प्रातिपदिकों से 'मत्वर्थ' में) र प्रत्यय होता है। र:-v.ii. 88 (छोटा' अर्थ गम्यमान हो तो कुटी, शमी और शुण्डा प्रातिपदिकों से र प्रत्यय होता है। र-VI. iv. 161 (हल् आदि वाले भसञक अङ्ग के लघु ऋकार के स्थान में) र आदेश होता है; (इष्ठन, इमनिच तथा ईयसुन परे रहते)। स-VII. ii. 100 (तिस, चतसृ अङ्गों के ऋकार के स्थान में अजादि विभक्ति परे रहते) रेफ आदेश होता है। ...: -VIII. 1. 15 देखें - इर: VIII. ii. 15 र:-VIII. ii. 18 (कृप् धातु के) रेफ को (लकारादेश होता है)। र -VIII. 1.69 (अहन् को) रेफ आदेश होता है, (सुप् परे न हो तो)। २-VIII. iii. 14 (पद के) रेफ का (रेफ परे रहते लोप होता है)। रक्तम् -IV.ii.1 (समथों में जो प्रथम तृतीयासमर्थ रङ्ग विशेषवाची प्रातिपदिक,उससे) 'रंगा गया' इस अर्थ में (यथाविहित प्रत्यय होता है)। रक्ते - V. iv. 32 'रंगा हजा' अर्थ में (वर्तमान लोहित प्रातिपदिक से कन प्रत्यय होता है)। ...रक्षः-III. 11.90 देखें- यजयाच० III. iii. 90 रक्षति -IV.iv. 33 (द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से) रक्षा करता है' - अर्थ में (ढक प्रत्यय होता है)। रक्षस्... - IV. iv. 121 देखें- रक्षोयातूनाम् IV. iv. 121 ...रवि... -III. ii. 27 देखें-वनसन III. 1.27
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy