SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 436
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ....मिदि... 418 મુબ . . . . ....मिदि... -I. 1. 19 मीढ्वान् - VI. 1. 12 देखें - शीविदिमिदिदिवदिधृषः I. II. 19 मीढ्वान् शब्द का (छन्द तथा भाषा में सामान्य करके) मिदेः - VII. ii. 82 निपातन किया जाता है। मिद् अङ्ग के (इक् को शित् प्रत्यय परे रहते गुण होता ...मीना - VIII. iv. 15 देखें-हिनुमीना VIII. iv. 15 ...मिनोति... - VI.I. 49 मीनाति... -VI.i.49 देखें-मीनातिमिनोति VI.1.49 देखें-मीनातिमिनोति VI.i.49 मीनातिमिनोतिदीडम् -VI.i. 49 ...मिप्... -III. iv.78 देखें-तिप्तस्झि० III. iv.78 . मीज डुमिन् तथा दीङ् धातुओं को (ल्यप् के परे रहते तथा एच के विषय में भी उपदेश अवस्था में ही आत्व ...मिपाम् -III. iv. 101 हो जाता है)। देखें-तस्थस्थमिपाम् III. iv. 101 मीनाते: - VII. iii. 81 ...मिमताभ्याम् - IV.i. 150 'मी हिंसायाम्' अङ्गों को (शित् प्रत्यय परे रहते वेद- . देखें- फाण्टाहतिमिमताभ्याम् IV. 1. 150 विषय में हस्व होता है)। ...मिश्र..-III. 30 देखें-पूर्वसदशसमो0 II.1.30 मीमाधुरभलभशकपतपदाम् - VII. iv. 34 ...मित्र.. -III.i. 21 मी, मा तथा घुसज्ञक एवं रभ, डुलभष, शक्ल, पत्लु देखें- मुण्डमिश्र III.i. 21 और पत् अङ्गों के (अच् के स्थान में इस आदेश होता है, सकारादि सन् परे रहते)। ...मिश्र.. - VI. iii. 55 देखें-घोषमिश्रOVI. iii. 55 ...मील... - VII. iv.3 . देखें- प्राजभास० VII. iv.3 , ...मिश्रका.. - VIII. iv. 4 . देखें-पुरगामिश्रका VIII. iv.4 मु-VIII. ii.3 मित्रम् - VI. ii. 154 (ना परे रहते) म भाव (असिद्ध नहीं होता)। (तृतीयान्त से परे उपसर्गरहित) मिश्र शब्द उत्तरपद को मुक्-VII. ii. 82 (भी अन्तोदात्त होता है, असन्धि गम्यमान हो तो)। (आन परे रहने पर अङ्ग के अकार को) मुक् आगम मिश्रीकरणम् - II. I. 35 होता है। . मिश्रीकरणवाची (ततीयान्त सबन्त भक्ष्यवाची सबन्त के ...मुक्त... -II.1.37 . साथ विकल्प से समास को प्राप्त होता है और वह समास देखें- अपेतापोढमुक्त० II. 1. 37 तत्पुरुषसंज्ञक होता है)। मुख... -I.i.8 .. मित्रे - VI. ii. 128 देखें- मुखनासिकाक्चनः I. 1.8 मुखनासिकावचनः-I.i.8 मिश्रवाची (तत्पुरुष समास) में (पलल, सूप, शाक कुछ मुख से, कुछ नासिका से (अर्थात् दोनों की सहाइन उत्तरपद शब्दों को आधुदात्त होता है)। यता से) बोले जाने वाले (वर्ण की अनुनासिक संज्ञा होती ...मिह... - III. ii. 182 देखें - दाम्नी III. 1. 182 मुखम् - VI. ii. 169 मी... - VII. iv.54 (अपना अङ्गवाची उत्तरपद) मुख शब्द को (बहुव्रीहि देखें-मीमाधु० VII. iv.54 समास में अन्तोदात्त होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy