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________________ ...भक्ति ... 397 भय्यप्रवय्ये 1.62 ...भक्ति ... - III. ii. 21 ...भज... -VI. iv. 122 देखें-दिवाविमा० III. ii. 21 देखें-नृफलमज.VI. iv. 122 भक्तिः - IV. iii. 95 भज: -III. ii. 62 (प्रथमासमर्थ) भक्ति समानाधिकरण प्रातिपदिक से भज् धातु से (सुबन्त उपपद रहते सोपसर्ग हो या निरु(षष्ठ्यर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है)। पसर्ग,तो भी ण्वि प्रत्यय होता है)। ..भक्षयति... -v.ii.9 भञ्ज.. -III. ii. 161 देखें-बद्धाभक्षयति० V.ii.9 देखें- भाभासमिः III. ii. 161 ...भञ्ज... - VII. iv. 86 भक्षाः - IV.ii. 15 देखें-जपजभO VII. iv. 86 (सप्तमीसमर्थ प्रातिपदिक से 'संस्कार किया गया । भञ्जभासमिदः -III. ii. 161 अर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है, यदि वह संस्कृत) भञ्ज, भास, मिद्-धातुओं से (तच्छीलादि कर्ता हों, भक्ष = खाद्य पदार्थ हो तो। तो वर्तमानकाल में घुरच् प्रत्यय होता है)। भक्षाः - IV. iv. 65. भोः -VI. iv. 33 (हित समानाधिकरण वाले) भक्ष्यवाची (प्रथमासमर्थ) भङ्ग अङ्ग के (नकार का भी विकल्प से लोप होता है. प्रातिपदिक से (षष्ठ्यर्थ में ठक् प्रत्यय होता है)। चिण् प्रत्यय परे रहते)। भक्ष्ये - VII.iii. 69 ...भद्र..-II. iii.73 . (भोज्यम् शब्द) भक्ष्य = खाद्य अभिधेय होने पर देखें - आयुष्यमद्रभद्र II. iii. 73 (निपातन किया जाता है)। ...भद्रपूर्वाया: - IV.i. 115 भक्ष्येण -II. 1. 35 देखें-संख्यासंभद्र० IV.i. 115 भक्ष्य = खाद्यवाचक (समर्थ सुबन्त) के साथ (मिश्री भम् -I. iv. 18 करणवाची तृतीयान्त सुबन्त विकल्प से समास को प्राप्त (सर्वनामस्थानभिन्न यकारादि अजादि स्वादि प्रत्ययों होता है और वह समास तत्पुरुष संज्ञक होता है)। के परे रहते पूर्व की) भ संज्ञा होती है। ....भग... - VII. iii. 19 भयहेतुः - I. iv. 25 देखें-हृद्भग VII. iii. 19 . (भय तथा रक्षा अर्थ वाली धातुओं के प्रयोग में) भय भगात् - IV. iv. 131 का जो हेतु है, वह (कारक अपादानसंज्ञक होता है)। (वेशस् और यशस् आदि वाले) भग शब्दान्त प्रातिप- भयन-II. I. दिक से (मत्वर्थ में थल प्रत्यय होता है. वेदविषय में)। (पञ्चम्यन्त सुबन्त) भय शब्द (समर्थ सुबन्त) के साथ (विकल्प से समास को प्राप्त होता है और वह तत्पुरुष ...भगाल... - VI. ii. 29 समास होता है)। देखें- इगन्तकाल. VI. ii. 29 ...भयेषु-III. ii. 43 ...भगो... -VIII. iii. 17 देखें- मेघर्तिभयेषु III. ii. 43 देखें- भोभगो० VIII. iii. 17 भय्य.. - VI.i. 80 ...भा ... -V.ii.4 देखें-भय्यप्रवय्ये VI.i. 80 देखें-तिलमाषोमाov.ii.4 भय्यप्रवय्ये-VI.i. 80 ...मंज... -IH. ii. 142 भय्य तथा प्रवय्य शब्द भी निपातन किये जाते है.(वेददेखें - सम्पचानुरुप III. ii. 142 विषय में)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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