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________________ प्र .. 395 ...ब्राह्मणानि ब्राह्म:-VI. iv. 171 ब्राह्म शब्द में टिलोप निपातन किया जाता है, (अपत्य जाति अर्थ को छोड़कर)। ब्राह्मण.. - IV. 1. 106 देखें-ब्राह्मणकौशिकयोः IV. 1. 106 ब्राह्मण... -IV.ii. 41 देखें-ब्राह्मणमाणवक्र०V.ii.41 ...ब्राह्मण.. - IV. iii. 72 देखें-द्वयब्राह्मण IV. iii.72 ब्राह्मण... - IV. iii. 105 देखें-ब्राह्मणकल्पेषु IV. iii. 105 ब्राह्मण... -VI. ii. 58 देखें-ब्राह्मणकुमारयोः VI. 1.58 ब्राह्मणक... - V.ii.71 देखें - ब्राह्मणकोष्णिके v. in. 71 ब्राह्मणकल्पेषु-IV. iii. 105 (तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से पुराणप्रोक्त) ब्राह्मण और कल्प अभिधेय हो (तो प्रोक्त अर्थ में णिनि प्रत्यय होता ब्रह्म...-III. 1.87 देखें-ब्रह्मभ्रूण III. 1.87 ब्रह्म...-V.iv.78 देखें- ब्रह्महस्तिभ्याम् V. iv.78 ब्रह्मचर्यम् - V. 1. 93 (प्रथमासमर्थ कालवाची प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ में यथाविहित ठञ् प्रत्यय होता है); ब्रह्मचर्य गम्यमान होने पर)। ब्रह्मचारिणि-v.ii. 134 (वर्ण प्रातिपदिक से 'मत्वर्थ' में इनि प्रत्यय होता है); ब्रह्मचारी वाच्य हो तो। ब्रह्मचारिणि -VI. iii. 85 (चरण गम्यमान हो तो) ब्रह्मचारी शब्द के उत्तरपद रहते (समान शब्द को स आदेश हो जाता है)। ...ब्रह्मणः -V.1.7 देखें-खलपवमाष० .1.7 ब्रह्मणः -V.i. 135 (षष्ठीसमर्थ ऋत्विग विशेषवाची) ब्रह्मन् प्रातिपदिक से (भाव और कर्म अर्थों में त्व प्रत्यय होता है)। · ब्रह्मणः -V.iv. 104 ब्रह्मन् शब्दान्त (तत्पुरुष समास) से (समासान्त टच प्रत्यय होता है,यदि समास के द्वारा जनपद सम्बन्ध प्रतीत होता हो तो)। ...ब्रह्मणोः -1.1.38 देखें-देवब्रह्मणोः I. 1. 38 ब्रह्मभ्रूणवत्रेषु - III. 1. 87 ब्रह्म,भ्रूण,वृत्र (कम) उपपद रहते (हन धातु से भूतकाल में क्विप् प्रत्यय होता है)। भ्रूण = गर्भ, कलल। वृत्र = असुर, बादल, अन्धकार, शत्रु । ...ब्रह्मवाच.. -III. 1. 123 देखें-निष्टक्यदेवहूय III. 1. 123 ब्रह्महस्तिभ्याम् - V. iv. 78 ब्रह्म और हस्ति शब्द से उत्तर (जो वर्चस् शब्द,तदन्त प्रातिपदिक से समासान्त अच् प्रत्यय होता है)। 1:-VI. ii. 58 ब्राह्मण तथा कुमार शब्द उपपद रहते (कर्मधारय समास में पूर्वपद आर्य शब्द को विकल्प से प्रकृतिस्वर होता है)। ब्राह्मणकोष्णिके - V. 1.71 ब्राह्मणक और उष्णिक शब्द कन्-प्रत्ययान्त सज्ञाविषय में निपातन किये जाते है। ब्राह्मणक = अयोग्य,नीच या नाममात्र का ब्राह्मण । उष्णिक = मांड। ब्राह्मणकौशिकयो: - IV. 1. 106 (मधु तथा ब शब्दों से यथासंख्य करके) ब्राह्मण तथा कौशिक गोत्र वाच्य हो (तो या प्रत्यय होता है)। ब्राह्मणमाणववाडवात् -IV. 1.41 (षष्ठीसमर्थ) ब्राह्मण,माणव तथा वाडव प्रातिपदिकों से (यत् प्रत्यय होता है)। ...बाह्मणानि - IV. 1.65 देखें-छन्दोब्राह्मणानि IV. 1.65
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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