SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 362
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 344 पम्याः पड़ोः - IV. 1. 68 पञ्चभ्यः -VII. 1.75 पङ्ग शब्द से (भी स्त्रीलिङ्ग में ऊङ् प्रत्यय होता है)। (कृ इत्यादि) पाँच = कृ, ग, दृङ्, धृङ,प्रच्छ धातुओं से ...पच... -III. 11.96 उत्तर (भी सन् को इट् आगम होता है)। देखें-वृषेक III. 11.96 पञ्चभ्यः - VII. iii. 98 पच-III. ii. 33 (रुदिर इत्यादि) पाँच अङ्गों से उत्तर (भी हलादि अपृक्त 'पच' धातु से (परिमाणवाचक कर्म उपपद रहने पर सार्वधातुक को ईट् आगम होता है)। 'खश्' प्रत्यय होता है)। पचमी-II.1.36 ...पचः - III. iii. 95 पञ्चमीविभक्त्यन्त (सुबन्त भय शब्द समर्थ सुबन्त के साथ विकल्प से समास को प्राप्त होता है,और वह तत्पुरुष देखें-स्थागापापचः III. iii.95 समास होता है)। पच -VIII. ii. 52 पञ्चमी-II. iii. 10 'डुपचष् पाके' धातु से उत्तर (निष्ठा के तकार को वका- (कर्मप्रवचनीयसंज्ञक अप, आङ् और परि के योग में) रादेश होता है)। पञ्चमी विभक्ति होती है। पचति - V.1.51 पञ्चमी-II. Iii. 24 (द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से 'सम्भव है', 'आहरण (कर्तृभिन्न हेतुवाची शब्द में ऋण वाच्य होने पर) पञ्चमी करता है और पकाता है' अर्थों में (यथाविहित प्रत्यय विभक्ति होती है। होते है)। पञ्चमी-II. 1. 28 ...पचादिभ्यः -III. 1. 134 (अनभिहित अपादान कारक में) पञ्चमी विभक्ति होती देखें - नन्दिग्रहि III. 1. 134 पञ्चमी-II. iii. 42 पच्यन्ते -v.i. 89 (जिस निर्धारण में विभाग किया जाये उसमें) पञ्चमी (तृतीयासमर्थ षष्टिरात्र प्रातिपदिक से) पकाया जाता है' विभक्ति होती है। अर्थ में (षष्टिक शब्द का निपातन किया जाता है)। ...पञ्चमी...-V.11.27 ...पच्यमानेषु - IV. III. 43 देखें-सप्तमीपञ्चमीov.iil. 27 देखें-साधुपुष्यत् IV. iii. 43 पचम्या-II.1.11 ...पञ्च... - VI. iii. 114 (अप, परि, बहिस्, अञ्चु-ये सुबन्त शब्द) पञ्चम्यन्त देखें - अविष्टाष्टO VI. ii. 114 (समर्थ सुबन्त) के साथ (विकल्प से समास को प्राप्त होते पञ्चद्... - V.i. 59 हैं,और वह अव्ययीभाव समास होता है)। पञ्चम्या : -V.iii.7 देखें- पञ्चदशती V. 1.59 पञ्चम्यन्त (किम्, सर्वनाम तथा बहु शब्दों) से (तसिल् पाद्दशती - V.1.59 प्रत्यय होता है)। पञ्चत् और दशत्-ये डति प्रत्ययान्त शब्द (तदस्य पञ्चम्या: - V. iv. 44 परिमाणम' विषय में वर्ग अभिधेय होने पर विकल्प से प्रति शब्द के योग में विहित) पञ्चमीविभक्त्यन्त प्रातिनिपातन किये जाते है)। पदिक से (विकल्प से तसि प्रत्यय होता है)। पचभ्यः -VII.1.25 पञ्चम्या: -VI. iii.2 (डतर आदि में है जिसके ऐसे सर्वादिगणपठित) पांच (स्तोकादियों से उत्तर) पञ्चमी विभक्ति का (उत्तरपद परे शब्दों से उत्तर (स और अम को अदड़ आदेश होता है)। रहते अलक होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy