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________________ ...नीभ्यः 341 ...नीभ्यः -VII. I. 116 देखें-नद्याम्नीभ्य: VII. I. 116 ...नील... - V.I. 42 देखें-जानपदकुण्ड IV.I. 42 नील-गहरा नीला रङ्ग। ...नु... -VI. 1. 132 देखें- तुनुघमा० VI. II. 132 नु = तुरन्त। नुक्-V.1.32 (अन्तर्वत,पतिवत् शब्दों से स्त्रीलिङ्ग में डीपप्रत्यय होता है तथा) डीप के साथ-साथ नुक् आगम भी हो जाता है। नुक्... -VII. iii. 39 देखें- नुम्लुको VII. lil. 39 नुक् - VII. iv. 85 (अनुनासिकान्त अङ्ग के अकारान्त अभ्यास को) नुक आगम होता है, (यङ् तथा यङ्लुक् परे रहते)। नुम्लुको-VII. III. 39 ' (ली तथा ला अङ्गको स्नेह = घृतादि पदार्थ के पिघ लना अर्थ में णि परे रहते विकल्प से क्रमश:) नुक तथा लुक् आगम होते हैं। नु - VI. iii. 73 . .. (उस लुप्त नकार वाले नञ् से उत्तर) नुट् का आगम होता है, (अजादि शब्द के उत्तरपद रहते)। नु -VII. 1.54 (हस्वान्त, नद्यन्त तथा आप् अन्तवाले आङ्ग से उत्तर आम् को) नुट् का आगम होता है। नुट्-VII. ii. 16 (वेद-विषय में अन् अन्तवाले शब्द से उत्तर मतप को) नुट् आगम होता है)। नुट् -VII. iv.71 . (अभ्यास के दीर्घ किये हुये आकार से उत्तर हल् वाले अङ्ग को) नुट् आगम होता है। ...तुझ्याम् – VI. 1. 170 देखें - हस्वनुभ्याम् VI. 1. 170 नुद.. - VIII. 1. 56 देखें - नुदविदोन्द० VIII. II. 56 नुदविदोन्दवानाहीभ्यः VIII. II. 56 नुद, विद, उन्दी, त्रैङ्, घा, ही- इन धातुओं से उत्तर निष्ठा के तकार को (विकल्प से नकारादेश होता है)। नुम् - VII. I. 58 (इकार इत्सज्जक है. जिसका, ऐसे धातु को) नुम् का आगम होता है)। नुम् - VII. 1. 80 (अवर्णान्त अङ्ग से उत्तर शी तथा नदी परे रहते शत्र प्रत्यय को विकल्प से) नुम् आगम होता हैं। नुम्... -VIII. iii. 58 देखें- नुम्विसर्जनीय. VIII. iii. 58 ....नम्... - VIII. iv.2 देखें - प्रतिपदिकान्तनम VIII. iv. 11 नुम्विसर्जनीयशळवाये -VIII. I. 58 नुम, विसर्जनीय तथा शर् प्रत्याहार का व्यवधान होने पर (भी इण तथा कवर्ग से उत्तरसकार को मूर्धन्य आदेश होता है)। ...नुम्व्य वाये- VIII. iv.2 देखें- अकुप्वाइO VIII. iv.2 7 VI. 1. 178 न से परे (भी झलादि विभक्ति विकल्प से उदात्त नहीं होती)। नृ-VI. iv.6.. नृ अङ्ग को (भी नाम् परे रहते वेदविषय में दोनों प्रकार से अर्थात् दीर्घ एवं अदीर्घ देखा जाता है)। ...नृतः -VII. ii. 57 देखें-कृतवृत. VII. 1.57 ...नृति... - I. ii. 89 देखें- पादम्यायमाझ्यस I. I.89 नृन् -VIII. III. 10 नृन् शब्द के (नकार को प परे रहते रु होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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