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________________ ठ 276 ठञ् - IV. iii. 11 ठञ् - IV. iv. 58 (कालविशेषवाची प्रातिपदिकों से) शैषिक ठञ् प्रत्यय (प्रहरण समानाधिकरणवाची प्रथमासमर्थ परश्वध होता है। प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ में) ठञ् प्रत्यय होता है (और चकार से ठक् भी)। ठञ् -IV. iii. 19 परश्वध = कुल्हाड़ी, कुठार, फरसा। . (वर्षा प्रातिपदिक से वेदविषय में) ठञ् प्रत्यय होता है। ठञ्-IV. iv. 103 ठ -IV.iii. 50 (सप्तमीसमर्थ गुडादि प्रातिपदिकों से साधु अर्थ में). (सप्तमीसमर्थ कालवाची संवत्सर तथा आग्रहायणी ठञ् प्रत्यय होता है। प्रातिपदिकों से) ठञ् (तथा वुज) प्रत्यय (होते हैं)। ठञ् -V.i. 18 ठञ्-IV. iii. 60 . (यहां से आगे वतेः= 'तेन तुल्यं क्रिया चंद्वतिः' सूत्र (अ = तः शब्द पूर्वपद में है जिसके,ऐसे सप्तमीसमर्थ से पहले पहले तक) ठञ् प्रत्यय अधिकृत होता है। . अव्ययीभावसंज्ञक प्रातिपदिक से भवार्थ में) ठत्र प्रत्यय ठञ्-v.i. 43 होता है। (सप्तमीसमर्थ लोक तथा सर्वलोक प्रातिपदिक से ठञ्-IV. iii.67 'प्रसिद्ध' अर्थ में) ठञ् प्रत्यय होता है। (व्याख्यान और भव अर्थ में षष्ठी और सप्तमीसमर्थ ठञ्-v.i. 107 बहत अच वाले अन्तोदात्त व्याख्यातव्यनाम प्रातिपदिकों (प्रकर्ष में वर्तमान जो प्रथमासमर्थ काल शब्द, उससे से) ठञ् प्रत्यय होता है। षष्ठ्यर्थ में) ठञ् प्रत्यय होता है। ठ -IV. iii.78 ठञ् -V.ii. 118 (पञ्चमीसमर्थ विद्यायोनि-सम्बन्धवाची ऋकारान्त (एक शब्द जिसके पूर्व में हो तथा गो.शब्द जिसके पूर्व प्रातिपदिकों से आगत अर्थ में) ठञ् प्रत्यय होता है। में हो.ऐसे प्रातिपदिक से 'मत्वर्थ' में नित्य ही) ठञ् प्रत्यय ठञ् - IV. iv.6 होता है। (ततीयासमर्थ गोपुच्छ प्रातिपदिक से 'तरति' अर्थ में) ...ठो - IV. iii.7 ठञ् प्रत्यय होता है। देखें - अष्ठी IV. 1.7 ठञ् - IV. iv. 11 ...ठौ-V..ii. 76 (तृतीयासमर्थ श्वगण प्रातिपदिक से) ठञ् (तथा ठन्) देखें - ठक्ठौ V.ii.76 प्रत्यय (होते हैं)। ठजिठौ - IV. ii. 115 श्वगण = कुत्तो का झुण्ड । (काशी आदि प्रातिपदिकों से शैषिक) ठञ् और विठ् ठञ् - IV. iv. 38 - प्रत्यय होते हैं। (द्वितीयासमर्थ आक्रन्द प्रातिपदिक से 'दौडता है' अर्थ ठन् - IV.iv.7 में) ठञ् (तथा ठक) प्रत्यय (होते है)। (तृतीयासमर्थ नौ तथा दो अच वाले प्रातिपदिकों से आक्रन्द = रोने का स्थान, शरणस्थान । 'तरति' अर्थ में) ठन प्रत्यय होता है। ठञ्-IV. iv. 52 ठन् - IV. iv. 13 (प्रथमासमर्थ लवण प्रातिपदिक से इसका बेचना' अर्थ (ततीयासमर्थ वस्न और क्रयविक्रय प्रातिपदिकों से) ठन् में) ठञ् प्रत्यय होता है। प्रत्यय होता है। .
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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