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________________ चिद् 250 ...चत... चु... -I. iii.7 देखें-चुटू I. iii.7 चु.. - V. iv. 106 देखें-चुदवहान्तात् V. iv. 106 . . चुः - VII. iv. 62 (अभ्यास के कवर्ग तथा हकार को) चवर्ग आदेश होता.' fare - VIII. ii. 101 चित् = (इति) यह निपात (भी जब उपमा के अर्थ में प्रयुक्त हो तो वाक्य के टि को अनुदात्त प्लुत होता है)। चिदुत्तरम् -VIII.i. 48 जिससे उत्तर चित है (तथा जिससे पूर्व कोई शब्द नहीं है, ऐसे किंवृत्त शब्द से युक्त तिडन्त को अनुदात्त नहीं होता)। ...चिनोति... VIII. iv.17 देखें- गदनदO VIII. iv. 17 . चिन्ति... III. iii. 105 . देखें-चिन्तिपूजि III. iii. 105 । चिन्तिपूजिकविकुम्बि: - III. iii. 105 चिति,पूज,कथ,कुम्ब तथा चर्च् धातुओं से (भी स्त्रीलिङ्ग कर्तृभिन्न कारक संज्ञा तथा भाव में अङ्प्रत्यय होता है)। चिर... -VI. 1.6 देखें-चिरकृच्छयो: VI. 1.6 चिरकृच्छ्यो : - VI. II. 6. चिर तथा कृच्छ शब्द उत्तरपद रहते (तत्पुरुष समास में प्रतिबन्धिवाची पूर्वपद को प्रकृतिस्वर होता है)। चिरम् -VI. ii. 127 (तत्पुरुष समास में उपमानवाची) चीर उत्तरपद शब्द को (आधुदात्त होता है)। ...चिरम्... IV. 1. 23 देखें-सायंचिरंपाहणे... 23 विस्फुरो: - VI. 1.53 चि तथा स्फुर् धातुओं के (एच् के स्थान में णिच् प्रत्यय के परे रहते विकल्प से आत्व हो जाता है)। चिहणादीनाम् - VI. ii. 125 (नपंसकलिङ्ग कन्थान्त तत्परुष समास में) चिहणादि गणपठित शब्दों के (आदि को उदात्त होता है)। चीरम् - VI. II. 127 (तत्पुरुष समास में उपमानवाची) चीर उत्तरपद शब्द को (आधुदात्त होता है)। चीरम् = लम्बा, कम चौड़ा वस्त्र। ...चीवरात् -III. 1. 20 देखें-पुच्छभाण्डचीवरात् III. I. 20 .....चुः - VIII. iv. 39 देखें- श्चु: VIII. iv. 39 चुचुप.. -V.ii. 26 देखें-चुञ्चप्वणपोv.ii. 26 चुक्षुप्वणपौ-v.ii. 26 (तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से 'ज्ञात' अर्थ में) चुचुप और चणप् प्रत्यय होते हैं। चुटू -1.11.7 (उपदेश में प्रत्यय के आदि में वर्तमान) चवर्ग और टवर्ग (इत्सझक होते हैं)। चुदवहान्तात् - V. iv. 107 (समाहार द्वन्द्व में वर्तमान) चवर्गान्त,दकारान्त,षकारान्त : तथा हकारान्त शब्दों से (समासान्त टच् प्रत्यय होता है)। ...चुना - VIII. iv. 39 . देखें-श्वुना VIII. iv. 39 ...चुरादिष्यः -III.1.25 खें-सत्यापपाश II.1.25 ....चूर्ण... -III. I. 25 देखें -सत्यापपाश० III. 1. 25 ...चूर्ण... - III. iv. 35 देखें - शुष्कचूर्णरूक्षेषु III. iv. 35 चूर्णात् - IV. iv. 23 (तृतीयासमर्थ) चूर्ण प्रातिपदिक से मिला हुआ अर्थ में इनि प्रत्यय होता है)। चूर्णादीनि - VI. ii. 134 (प्राणिभिन्न षष्ठ्यन्त शब्द से उत्तर तत्पुरुष समास में चूर्णादि उत्तरपद शब्दों को (आधुदात्त होता है)। ....चूत... -VII. 1.57 देखें-कृतचूत VII. 1.57
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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