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________________ 234 च-VI. 1. 131 च-VI. II. 186 (कर्मधारयवर्जित तत्पुरुष समास में उत्तरपद वर्यादि ___(अप उपसर्ग से उत्तर) भी (उत्तरपदस्थित मुख शब्द को शब्दों को) भी (आधुदात्त होता है)। . अन्तोदात्त होता है)। च-VI. 1. 135 च-VI. 1. 187 (अप्राणिवाची षष्ठ्यन्त शब्द से उत्तर पूर्वोक्त छ: (अप उपसर्ग से उत्तर स्फिग,पत,वीणा,अबस.अध्वन, काण्डादि उत्तरपद शब्दों का) भी (आधुदात्त होता है)। कुक्षि, तथा हल के वाची शब्दों को एवं नाम शब्द को) च-VI. 1. 141 भी (अन्तोदात्त होता है)। (देवतावाची शब्दों के द्वन्द्व समास में) भी (एक साथ च-VI. 1. 190 दोनों अर्थात् पूर्व और उत्तरपद को प्रकृतिस्वर होता है)। (अनु उपसर्ग से उत्तर अन्वादिष्टवाची पुरुष शब्द को) च-VI. 1. 147 भी (अन्तोदात्त होता है)। (प्रवृद्धादियों के क्तान्त उत्तरपद को) भी (अन्तोदात्त च-VI. II. 198 होता है। (क्र अन्त में नहीं है, जिसके ऐसे अक्रान्त शब्द से उत्तर च-VI. 1. 149 सक्थ शब्द को) भी विकल्प से अन्तोदात्त होता है, बहु(इस प्रकार को प्राप्त हुये के द्वारा किया गया- इस व्रीहि समास में)। अर्थ में जो समास, वहाँ) भी (क्तान्त उत्तरपद को कारक च-VI. 1.5 से परे अन्तोदात्त होता है)। च-VI. 1. 154 (आज्ञायी शब्द के उत्तरपद रहते) भी (मनस् शब्द से (तृतीयान्त से परे उपसर्गरहित मिश्र शब्द उत्तरपद को) उत्तर तृतीया का अलुक् होता है)। भी (अन्तोदात्त होता है, असन्धि गम्यमान हो तो)। च-VI. 1. 156 (आत्मन् शब्द से परे) भी (तृतीया का अलुक होता है, (गणप्रतिषेध अर्थ में नज से उत्तर अतदर्थ में वर्तमान उत्तरपद परे रहते)। जो य तथा यत् तद्धित प्रत्यय, तदन्त उत्तरपद को) भी च-VI. I.T (अन्तोदात्त होता है)। (जिस सज्जा से वैयाकरण व्यवहार करते हैं. उसको च-VI. 1. 158 कहने में पर शब्द) तथा चकार से आत्मन् शब्द से उत्तर (न से उत्तर आक्रोश गम्यमान होने पर) भी (अअत्य- (भी चतुर्थी विभक्ति का अलुक होता है)। यान्त तथा कप्रत्ययान्त उत्तरपद को अन्तोदात्त होता है)। सपा कमत्यवान्त उत्तरपदका अन्तादात्त हाताहाच - VI.ii.9 . च-VI. ii. 160 (प्राच्यदेशों के जो करों के नाम वाले शब्द.उनमें) भी (न से उत्तर कृत्यसञक उक, इष्णुच् प्रत्ययान्त तथा (हलादि शब्द के परे रहते हलन्त तथा अदन्त शब्दों से चार्वादिगणपठित उत्तरपद शब्दों को) भी (अन्तोदात्त होता उत्तर सप्तमी विभक्ति का अलुक होता है)। च-VI. III. 12 च-VI. 1. 180 (बन्ध शब्द उत्तरपद रहते) भी (हलन्त तथा अदन्त शब्द (उपसर्ग से उत्तर उत्तरपद अन्त शब्द को) भी (अन्तोदात्त से उत्तर सप्तमी का विकल्प करके अलुक् होता है)। होता है)। च-VI. 1. 18 च-VI. 1. 184 (निरुदकादिगणपठित शब्दों को) भी (अन्तोदात्त होता (इन्नन्त, सिद्ध तथा बजाति उत्तरपद रहते) भी (सप्तमी का अलुकू नहीं होता है)। .
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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