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________________ 212 च-III. 1. 10 च-III. ii.64 (आयु गम्यमान हो तो) भी (कर्म उपपद रहते हज् धातु (वह धातु से) भी (वेदविषय में सुबन्त उपपद रहते ण्वि से अच् प्रत्यय होता है)। प्रत्यय होता है)। च-III. ii. 17 च-III. 1.69 (भिक्षा, सेना, आदाय शब्द उपपद रहते) भी (चर् धातु सेट प्रत्यय होता है)। (क्रव्य सुबन्त उपपद रहते) भी (अद् धातु से विट् प्रत्यय च-III. 1. 26 होता है)। (फलेग्रहि) और (आत्मम्भरि शब्द इन् प्रत्ययान्त निपातन च-III. ii. 70 किये जाते है)। (दुह धातु से सुबन्त उपपद रहते कप् प्रत्यय होता है) च-III. ii. 30 तथा (अन्त्य हकार को घकारादेश होता है)। (नाडी और मुष्टि कर्म उपपद रहते) भी (ध्मा तथा धेट .. है च- III. 1.74 धातुओं से खश् प्रत्यय होता है)। (आकारान्त धातुओं से सुबन्त उपपद रहते मनिन्, . च-III. 1.34 क्वनिप, वनिप) तथा (विच् प्रत्यय होते हैं)। मित और नख कर्म उपपद हो तो भी पिच धात मे च-III. ii. 76 खश् प्रत्यय होता है। (सोपपद हों चाहे निरुपपद, लोक तथा वेद में सब च -III. 1. 37 धातुओं से क्विप् प्रत्यय) भी (होता है)। (उग्रम्पश्य, इरम्मद तथा पाणिन्धम ये शब्द) भी (खश च- III. ii. 77 प्रत्ययान्त निपात न किये जाते है।। (सुबन्त उपपद रहते सोपसर्ग या निरुपसर्ग स्था धातु च-III. 1.44 से क) तथा (क्विप् प्रत्यय होता है)। (क्षेम,प्रिय,मद्र-इन कमों के उपपद रहते कब धातु च - III. ii. 83 से अण् प्रत्यय होता है) तथा चकार से खच् प्रत्यय भी (आत्ममान अर्थात् अपने आप को मानना अर्थ में वर्तहोता है। मान मन् धातु से खश् प्रत्यय होता है), चकार से णिनि च-III. ii. 48 भी होता है। (संज्ञा गम्यमान होने पर कर्म उपपद रहते गम् धातु से) च- III. 1.96 भी (खच् प्रत्यय होता है)। (सह शब्द उपपद रहते) भी (युध् तथा कृञ् धातुओं से च-III. ii. 53 भूतकाल में क्वनिप् प्रत्यय होता है)। (मनुष्यभिन्न कर्ता अर्थ में वर्तमान हन् धातु से) भी च- III. 1. 98 (कर्म उपपद रहने पर टक् प्रत्यय होता है)। (उपसर्ग उपपद रहते) भी (संज्ञा विषय में जन् धातु से च-III. ii. 59 भूतकाल में ड प्रत्यय होता है)। . (ऋत्विक. दधक, स्रक, दिक्, उष्णिक्-ये पाँच शब्द च-III.1.107 क्विन प्रत्ययान्त निपातन किये जाते हैं । अञ्च, युज् तथा विट-विषय में लिट के स्थान में क्वस आदेश) भी क्रु धातुओं से) भी (क्विन् प्रत्यय होता है)। (विकल्प से होता है)। च-III. ii. 60 . च- III. ii. 109 (त्यदादि शब्द उपपद रहते आलोचन = देखना से भिन्न अर्थ में वर्तमान दृश् धातु से कब और (क्विन् प्रत्यय (क्वसु-प्रत्ययान्त उपेयिवान, अनाश्वान, अनूचान शब्द) होते है)। भी (निपातन किये जाते है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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