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________________ गमि... 187 गवाश्वप्रभृतीनि गर्ध = लालच। गर्भिण्या -II. 1.70 (चतुष्पाद = चार पैर वाले पश आदि के वाचक सुबन्त शब्द समानाधिकरण) गर्भिणी (सुबन्त) शब्द के साथ (विकल्प से समास को प्राप्त होते हैं, और वह तत्पुरुष संज्ञक समास होता है)। ...गर्दा... - I. iv. 95 . देखें - पदार्थसम्भावनान्ववसर्गः I. iv. 95 गर्हायाम् - III. iii. 142 निन्दा गम्यमान हो तो (अपि तथा जातु उपपद रहते धातु से लट् प्रत्यय होता है)। गर्दायाम् - III. ii. 149 गर्दा = निन्दा गम्यमान हो तो (भी यच्च,यत्र उपपद रहते धात से लिङ प्रत्यय होता है)। गर्हायाम् - VI. ii. 127 - (चेल,खेट,कटुक,काण्ड-इन उत्तरपद शब्दों को तत्पुरुष समास में) निन्दा गम्यमान होने पर (आधुदात्त होता गमि... -I.1.29 देखें-गम्यूछिभ्याम् I. 11. 29 ..गमि.. - II. iv. 80 देखें-घसरणश II. iv. 80 ...गमि.. - VII. iii. 77 देखें- इसुगमियमाम् VII. III. 77 ..गमि.. - VII. iv. 33 देखें-भानपु० VII. iv. 33 गमि-II. iv.46 . (अबोधनार्थक इण के स्थान में, णिच् परे रहते) गम् आदेश होता है। . गमः -VII. 1.58 . गम्ल धातु से उत्तर (सकारादि आर्धधातुक को परस्मैपद परे रहते इट् का आगम होता है)। गम्भीरात् -IV. .58 (सप्तमीसमर्थ) गम्भीर प्रातिपदिक से (भव अर्थ में व्य प्रत्यय होता है)। गम्यादयः-III. iii. 3 (उणादिप्रत्ययान्त) गमी आदि शब्द (भविष्यत् काल के अर्थ में साधु होते है)। गम्यच्छिभ्याम् -I. iii. 29 - (सम् उपसर्ग से उत्तर अकर्मक) धातुओं से (आत्मनेपद होता है)। ...गर्... - VI. iv. 157 - देखें - प्रस्थस्फ० VI. iv. 157 गर्गादिभ्यः -IV.i. 105 गर्गादि षष्ठीसमर्थ प्रातिपदिकों से (गोत्रापत्य में यञ् प्रत्यय होता है)। ...गर्वोत्तरपदात् - IV. 1. 125 . देखें-कच्छाग्नि IV.ii. 125 गोत्तरपदात्- IV. 1. 136 गर्त शब्द उत्तरपदवाले (देशवाची) प्रातिपदिकों से (शैषिक छ प्रत्यय होता है)। ...गर्थेषु - VII. iv. 34 । देखें-बुभुक्षापिपासा. VII. iv. 34 गर्दा... - III. i. 101 देखें - गर्हापणितव्यः III. 1. 101 गर्दापणितव्यानिरोधेषु -III. 1. 101 (अवध,पण्य,वर्य-ये शब्द यथासंख्य करके) गर्दा = निन्दनीय,पणितव्य = खरीदने योग्य और अनिरोध = . सेवन करने योग्य अर्थों में (यत्प्रत्ययान्त निपातन किये जाते है)। गर्झम् - IV. iv. 30 (द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से 'देता है' अर्थ में ठक प्रत्यय होता है). यदि देय पदार्थ निन्दित हो। ...गर्दात् - V.ii. 128 देखें - द्वन्द्वोपतापo v.ii. 128 ...गवादिभ्यः -V.i.3 देखें - उगवादिभ्यः V. 1.3 गवाश्वप्रभृतीनि -II. iv. 11 गवाश्व इत्यादि शब्द (यथापठित = कृतैकवद्भाव द्वन्दुरूप ही साधु होते है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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