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________________ खालयवमाषतिलवृषब्रह्मणः खलति = गंजा पुरुष । पलित = वलिन = जरती = वृद्धा । सफेद बालों वाला । खलयवमाषतिलवृषब्रह्मण: - V. 1. 7 (चतुर्थीसमर्थ) खल, यव, माष, तिल, वृष, ब्रह्मन् प्रातिपदिकों से (भी 'हित' अर्थ में यत् प्रत्यय होता है) । ... खलर्थ..... देखें - लोकाव्ययनिष्ठा० II. 1. 69 झुर्री वाला। - - .... खल. - JIIIv. 70 देखें - कृत्यक्तखलर्थाः III. Iv. 70 खल्यत्रो - VII. 1. 67 खल तथा घम् प्रत्ययों के परे रहते (उपसर्ग से उत्तर लभ् अङ्ग को नुम् आगम होता है)। II. iii.69 III. iv. 18 देखें - अलखत्वोः III. Iv. 18 - खश् - III. II. 28 (णिजन्त एजृ धातु से कर्म उपपद रहते) खश् प्रत्यय होता है। ख - III. 1. 83 (आत्ममान अर्थ में विद्यमान 'मन्' धातु से सुबन्त उपपद रहते) खश् प्रत्यय होता है, चकार से णिनि भी होता है । ... खाद... - III. I. 146 देखें निन्दहिंस०] III. 1. 146 .. खादौ - VIII. iv. 18 देखें अकखादी VIII. Iv. 18 ...खान्य... - III. 1. 123 देखें निष्टकर्यदेवहूय III. 1. 123 खार्याः - V. 1. 33 (अध्यर्द्धशब्द पूर्ववाले तथा द्विगुसव्छक) खारीशब्दान्त प्रातिपदिक से (तदर्हति पर्यन्त) कथित अर्थों में ईकन् प्रत्यय होता है)। 183 खार्या - V. Iv. 101 खारी शब्दान्त ( द्विगु सव्वक तत्पुरुष) से (तथा अर्धशब्द से उत्तर जो खारी शब्द, तदन्त से समासान्त टच् प्रत्यय होता है, प्राचीन आचार्यों के मत में) । खिति - VI. iii 65 ख् इत्सञ्ज्ञक है जिसका, ऐसे शब्द के उत्तरपद रहते (अव्ययभिन्न शब्द को हस्व हो जाता है) । खिदे: - VI. 1. 51 'खिद् दैन्ये' धातु के (एच के स्थान में वेदविषय में विकल्प से आत्व हो जाता है)। खिष्णुच्... - III. 1. 57 देखें खिष्णुखुकञ III. II. 57 खिष्णुखुकञ – III. ii. 57 - (व्यर्थ में वर्तमान अध्य्यन्त आदय, सुभग, स्थूल, पलित, नग्न, अन्ध, प्रिय-ये सुबन्त उपपद रहते कर्तृ कारक में भूधातु से ) खिष्णुच् तथा खुकञ् प्रत्यय होते .... खुकञ - III. II. 57 देखें - खिष्णुखुकी III. II. 57 खे - VI. iv. 169 ..खौ (भसक्षक आत्मन् और अध्वन् अङ्गों को) ख प्रत्यय परे रहते (प्रकृतिभाव होता है) । .. खेट... - VI. ii. 126 देखें - चेलखेटo VI. ii. 126 ...खो - VI. Iv. 145 देखें - खो: VI. iv. 145 ... खोपधात् - IV. II. 140 देखें - अकेकान्त० IV. II. 140 ...खौ - IV. 1. 92 ii. देखें घखौ IV. 1. 92 ..खौ IV. iii. 64 देखें- यखौ IV. III. 64 ..खौ IV. iv. 130 देखें- यत्खौ IV. Iv. 130 — --
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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