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________________ ...ख्वी 182 खलतिपलितवलिनजरतीभिः ...खो -v.ii.5 देखें-खखौ v.il.5 खट्वा -II.i. 25 (द्वितीयान्त) खट्वा शब्द (क्तान्त समर्थ सुबन्त के साथ तत्पुरुष समास को प्राप्त होता है. निन्दा गम्यमान होने पर)। ...खण्डिका.. - IV. iii. 102 देखें-तित्तिरिवरतन्तु० IV. iii. 102 .. खण्डिकादिभ्यः - IV. 1.44 (षष्ठीसमर्थ) खण्डिकादि प्रातिपदिकों से (भी समूहार्थ को कहने में अब प्रत्यय होता है)। ...खदिर...-VIII. iv.5 देखें-प्रनिरन्त... VIII. iv.5 ...खन... -III. 1.67 देखें-जनसन० III. 1.67 ...खन..-III. II. 184 देखें- अतिलघू III. II. 184 ...खन..-VI. iv.98 देखें-गमहन. VI. iv.98 खनः -III. 1. 111 खन् धातु से (क्यप् प्रत्यय होता है, और अन्त्य अल् के स्थान में ईकार आदेश भी होता है)। खन -III. iii. 125 खन् धातु से (पुंल्लिङ्ग करणाधिकरण कारक संज्ञा में घ प्रत्यय होता है, तथा चकार से घञ् भी होता है)। खनति - IV. iv.2 . (तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से 'खेलता है), खोदता है, (जीतता है', 'जीता हुआ- अर्थों में ठक प्रत्यय होता खमुश्-III. iv. 25 (कर्म उपपद रहते आक्रोश गम्यमान हो तो समानकर्तृक पूर्वकालिक कृञ् धातु से) खमुञ् प्रत्यय होता है। खयः -VII. iv.61 (शर प्रत्याहार का कोई वर्ण पूर्व में है जिस खय प्रत्याहार के, ऐसे अभ्यास का) खय् शेष रहता है। खयि-VIII. iii.7 (अम् परे है जिससे, ऐसे) खय के परे रहते (पुम् को रु होता है,संहिता में)। खर: - VIII. iii. 15 देखें-खरवसानयो: VIII. iii. 15 ... खरवसानयोः - VIII. ii. 15 रेफान्त पद को) खर परे रहते तथा अवसान में (विसर्जनीय आदेश होता है, संहिता में)। . ...खरशालात् - IV. 11.35 देखें-स्थानान्तगोशाल. IV. iii. 35 खरि -VIII. iv. 54 खर् परे रहते (भी झलों को चर् आदेश होता है)। . खल्-III. iii. 126. (कृच्छ् अर्थवाले तथा अकृच्छ अर्थवाले ईषद,दुस् तथा सु उपपद हों तो धातु से) खल् प्रत्यय होता है। खल्... - VII. 1.67 देखें-खल्यो : VII. 1.67 खल... - V.II. 49 देखें - खलगोरथात् IV. ii. 49 खल... - V. 1.7 देखें - खलयवमाषतिल० V.i.7 खलगोरथात् -IN.ii. 49 (षष्ठीसमर्थ) खल, गो तथा रथ प्रातिपदिकों से (समूह अर्थ को कहने में य प्रत्यय होता है)। खलति... -II. I. 66 देखें-खलतिपलितवलिन II.1.66 खलतिपलितवलिनजरतीधि -II. 1.66 (युवन् शब्द)खलति,पलित,वलिन,जरती-इन (समानाधिकरण सुबन्त) शब्दों के साथ विकल्प से समास को प्राप्त होता है, और वह तत्पुरुष समास होता है)। ...खनाम् - VI. iv. 42 देखें-जनसनखनाम् VI. iv.42 ...खन्य..-III.1.123 देखें-निष्टक्र्यदक्य II.1.123
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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