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________________ ...कोपधात् 170 विति ...कोपधात् - IV. ii. 106 कौरव्य.. - IV.I. 19 देखें-प्रस्थोत्तरपदपलधा० IV. ii. 106 देखें-कौरव्यमाण्डूकाभ्याम् IV.I. 19 कोपधात् - IV.ii. 131 कौरव्यमाण्डूकाभ्याम् – IV.1.19 (देशवाची) ककार उपधावाले प्रातिपदिक से (शैषिक __ (अनुपसर्जन) कौरव्य तथा माण्डूक प्रतिपदिकों से (पी अण् प्रत्यय होता है)। स्त्रीलिङ्ग में एक प्रत्यय होता है,और वह तद्धितसंज्ञक होता. कोपधात् - IV. iii. 134 (षष्ठीसमर्थ) ककार उपधावाले प्रातिपदिक से (भी कौशले - VIII. 11. 89 विकार और अवयव अर्थों में अण् प्रत्यय होता है)। (नि तथा नदी शब्द से उत्तर 'ष्णा शौचे' धातु के सकार: ...कोपयात् - Iv.iv.4 को) कुशलता गम्यमान हो तो (मूर्धन्य आदेश होता है)। .. देखें- कुलत्वकोपधात् IV. iv.4 ...कौशिकयोः -IV.I. 106 . कोपधायाः-IV. iii. 36 देखें- ब्राह्मणकौशिकयो: IV. 1. 106 .. ककार उपधावाले (स्त्रीशब्द) को (पुंवद्भाव नहीं होता)। देखें-काश्यपकौशिकाभ्याम् M. . 103 कोशात् -IV. iii. 42 कौसल्य..-.1.155 . (सप्तमीसमर्थ) कोश प्रातिपदिक से (सम्भव अर्थ में । देखें-कौसल्यकार्यािभ्याम् IV.I. 155 ढ प्रत्यय होता है)। कौसल्यकार्यािभ्याम् - IV.1.155 ... कोष्णिके-v.1.71 कौसल्य तथा कार्य शब्दों से (भी अपत्य अर्थ में : देखें- ब्राह्मणकोष्णिक V.ii. 71 फिञ् प्रत्यय होता है)। ... कोसल... - IV. 1. 169 विडति-I.1.5 देखें-वृद्धत्कोसला• IV. 1. 169 कित,गित, ङित् को निमित्त मानकर (भी इक् के स्थान ...कौ - VI. ii. 157 में जो गुण और वृद्धि प्राप्त होते हैं, वे न हो)। देखें-अच्कौ VI. ii. 157 विडति - VI. v. 15 ...कौटाभ्याम् - V.iv.95 (अनुनासिकान्त अन की उपधा को दीर्घ होता है, क्वि देखें - ग्रामकोटाभ्याम् V. iv.95 तथा झलादि) कित् ङित् प्रत्यय परे रहते। कौटिल्ये - III. 1. 23 विडति -VI. iv. 24 (गत्यर्थक धातुओं से नित्य) कुटिलता-युक्त (गति) (इकार जिनका इत्सबक नहीं हैं,ऐसे हलन्त अग की गम्यमान होने पर (ही यङ् प्रत्यय होता है)। उपधा के नकार का लोप होता है),कित् डित् प्रत्ययों के ...कौण्डिन्ययो: - II. iv. 70 परे रहते। देखें- आगस्त्यकौण्डिन्ययोः II. iv. 70 विडति-VI. iv.37 ...कौपीने -v.i. 20 (अनुदात्तोपदेश और जो अनुनासिकान्त-उनका तथा वन एवं तनोति आदि अों के अनुनासिक का लोप होता देखें- शालीनकौपीने v. II. 20 है, झलादि) कित डित प्रत्ययों के परे रहते। कौमार - IV. ii. 12 विडति-VI.V.. कौमार शब्द (अपूर्ववचन घोतित हो रहा हो तो) अण- (अजादि) कित् ङित् प्रत्ययों के परे रहते (दीपातु से प्रत्ययान्त निपातन किया जाता है। उत्तर युट् का आगम होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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