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________________ कर्मव्यतिहारे 152 कर्मव्यतिहारे-v.iv. 127 कलापिन: - Iv.ili 108 कर्मव्यतिहार = क्रिया के अदल बदल करने के अर्थ (ततीयासमर्थ) कलापिन प्रातिपदिक से (द्वन्द्व विषय में में (जो बहुव्रीहि समास, तदन्त से समासान्त इच् प्रत्यय प्रोक्त अर्थ कहना हो तो अण प्रत्यय होता है)। होता है)। कलापिवैशम्पायनान्तेवासिभ्य: - IV. iii. 104 कर्मव्यतिहारे - VII. iii.6 कर्मव्यतिहार = क्रिया के अदल बदल करने अर्थ में ___ (तृतीयासमर्थ) कलापी के अन्तेवासी तथा वैशम्पायन के अन्तेवासी के वाचक प्रातिपदिकों से (प्रोक्तार्थ में णिनि (पूर्वसूत्र से जो कुछ कहा है, वह नहीं होता)। प्रत्यय होता है, द्वन्द्व विषय में)। कर्ष... -VI.i. 153 देखें - कर्षात्वत: VI. I. 153 कलाप्यश्वत्थयवबुसाद् - IV. iii. 48. (सप्तमीसमर्थ कालवाची) कलापि, अश्वत्थ, यव,बुस ...कर्षः-III. iv. 50 देखें- उपपीडरुधकर्षः III. iv. 50 शब्दों से (वुन् प्रत्यय होता है, 'देयमणे' विषय में)। ...कर्षाः -VI. ii. 129 ...कलिङ्ग... - IV.i. 168 देखें-द्वयमगध IV.i. 168 देखें-कूलसूद० VI. ii. 129 ...कल्क... - III. i. 117 कर्षात्वतः -VI.i. 153 देखें - मुञ्जकल्क III. I. 117 कृष् विलेखने धातु तथा आकारवान् (घबन्त) शब्द के " ...कल्प... - VI. iii. 42 . (अन्त को उदात्त होता है)। देखें-घरूपO VI. iii. 42 ...कर्षेषु - IV. iv.97 कल्पप्... - V. iii. 67 देखें- करणजल्पO IV. iv.97 देखें-कल्पब्देश्य० V. iii.67 ...को :-III. iii.5 कल्पब्देश्यदेशीयर:- V. iii.67 देखें- कदाकों : III. iii. 5 (किञ्चित् न्यून' अर्थ में वर्तमान प्रातिपदिक से) कल्पप. ...कल... -III. 1.21 देश्य तथा देशीयर प्रत्यय होता है। देखें- मुण्डमिश्र III. 1.21 ....कल्पेषु - IV. iii. 105 ...कलकूट... - IV.i. 171 देखें-ब्राह्मणकल्पेषु IV. iii. 105 देखें-साल्वावयवप्रत्यप्रथ० IV.i. 171 कल्याण्यादीनाम् - IV. 1. 126 ...कलशि... - IV. iii. 56 कल्याणी आदि शब्दों से (अपत्य अर्थ में ठक प्रत्यय देखें- दृतिकुक्षिकलशिo V.I.56 होता है) तथा कल्याण्यादियों को (इनङ् आदेश भी हो ...कलह... - II. I. 30 जाता है)। देखें - पूर्वसदृशसमो० II. I. 30 कवचिन: -IV.ii. 40...कलह... - III. 1. 17 (षष्ठीसमर्थ) कवचिन् शब्द से (समूह अर्थ में ठञ् देखें-शब्दवैरकलहा० III.i. 17 प्रत्यय भी होता है)। ...कलह.. -III. 1. 23 कवते: - VII. iv. 63 देखें- शब्दश्लोक III. ii. 23 कुङ् अङ्ग के (अभ्यास को यङ् परे रहते चवर्गादेश नहीं होता)। ...कलहम् -VI. 1. 153 देखें- ऊनार्थकलहम् VI. li, 153 कवम् -VI. iii. 107 कलापि... - IV. iii.48 (उष्ण शब्द उत्तरपद रहते कु शब्द को) कव आदेश (भी) देखें-कलाप्यश्वत्यIV. iii. 48 होता है,(एवं विकल्प से का आदेश भी)। कलापि... -IVill. 104 कवि... - VII. iv. 39 देखें-कलापिवैशम्पायo IV. iii. 104 देखें-कव्यध्वरOVII. iv. 39
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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