SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 161
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ...कटुक... 143 ...कतिपय... ...कटुक... -VI. ii. 126 कण्ठपृष्ठग्रीवाजम् - VI. ii. 114 देखें- चेलखेटO VI. ii. 126 (सज्ञा तथा औपम्य विषय में वर्तमान बहुव्रीहि समास ...कट्यच:-IVii. 50 में) कण्ठ, पृष्ठ,ग्रीवा,जला - इन उत्तरपद शब्दों को (भी देखें- इनित्रकट्यच: IV. ii. 50 आधुदात्त होता है)। कठ... -IV. iii. 107 कण्ड्वादिभ्य: -III. i. 27 . देखें- कठचरकात् IV. iii. 107 कण्डूज् आदि = कण्ड्वादिगणपठित धातुओं से (यक् प्रत्यय होता है)। . कठचरकात् - IV. iii. 107 ...कण्व... - III. 1. 17 कठ और चरक शब्द से उत्पन्न (प्रोक्त प्रत्यय का छन्द देखें - शब्दवैरकलहा. III. 1. 17 विषय में लुक् होता है)। कण्वादिभ्यः - IV. 1. 110 कठिनान्त... - IV. iv. 72 कण्वादि प्रातिपदिकों से (गोत्र में विहित जो प्रत्यय, देखें - कठिनान्तप्रस्तार• IV. iv. 72 तदन्त प्रातिपदिक से शैषिक अण प्रत्यय होता है)। कठिनान्तप्रस्तारसंस्थानेषु - IV. iv. 72 कत् -VI. iii. 100 (सप्तमीसमर्थ) कठिन शब्द अन्तवाले, प्रस्तार तथा (क को तत्पुरुष समास में अजादि शब्द उत्तरपद हो तो) संस्थान प्रातिपदिकों से (व्यवहार करता है' अर्थ में ठक कत आदेश होता है। प्रत्यय होता है)। .. ...कत... - V... 120 कडङ्कर..-v.i. 68 . देखें - अचतुरमङ्गलov.i. 120 देखें - कङ्करदक्षिणात् V. i. 68 ...कतन्तेभ्य: - IV.i. 18 करदक्षिणात् - V.i. 68 देखें- लोहितादिकतन्तेभ्यः IV.i. 18 (द्वितीयासमर्थ) कडडर और दक्षिणा प्रातिपदिकों से (छ....कतमो-II.i. 62 और यत् प्रत्यय होते हैं, समर्थ है' अर्थ में)। देखें- कतरकतमौ II..62 कडारा: -II. ii. 38 ...कतमौ -VI. ii. 57 कडारादि शब्द (कर्मधारय समास में पूर्व प्रयुक्त होते - देखें- कतरकतमो VI. ii. 57 है, विकल्प से)। कतर... -II. . 62 देखें- कतरकतमौ II. 1.62 कंडारात् - I. iv.1 कतर... -VI. ii. 57 'कडाराः कर्मधारये' II. ii. 38 सूत्र (तक एक संज्ञा है, देखें- कतरकतमौ VI. ii. 57 यह अधिकार है)। कतरकतमौ-II.i.62 कडारात् - II. 1.3 (जाति के विषय में विविध प्रश्न में वर्तमान) कतर,कतम 'कडाराः कर्मधारये II. ii. 38 से (पहले पहले समास शब्द (समानाधिकरण समर्थ सुबन्त के साथ तत्पुरुष सज्ञा का अधिकार जायेगा)। समास को प्राप्त होते हैं)। कणे... - I. iv. 65 कतरकतमौ -VI. ii. 57 खें- कणेमनसी I. iv. 65 कतर तथा कतम पूर्वपद को (कर्मधारय समास में कणेमनसी - I. iv. 65 विकल्प से प्रकृतिस्वर होता है)। कणे और मनस शब्द (क्रियायोग में गति और निपात ..कति... -v.ii. 51 संज्ञक होते है,श्रद्धा के प्रतीघात अर्थ में)। देखें- षट्कति० V.ii. 51 कण्ठ... -VI. I. 114 ...कतिपय..-I.i. 32 देखें- कण्ठपृष्ठ VI. ii. 114 देखें- प्रथमचरमतयाल्पार्धकतिपयनेमाः I.1. 32
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy