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________________ उणादयः - 112 उत्करादिण्य . उणादयः-III. 1.1 i.उण् आदि प्रत्यय । पाया . ii. उणादि नाम से पाणिनिरचित अष्टाध्यायी का परि- शिष्ट। (धातुओं से) उण आदि प्रत्यय (वर्तमान काल में बहुल करके होते है)। उणादयः -III. iv.75 उणादि प्रत्यय (सम्प्रदान तथा अपादान कारकों से अन्यत्र अर्थात् कर्मादि कारकों में भी होते है)। उत्... -I. 1. 27 देखें-उद्विभ्याम् I. iii. 27 ... ...उत्... -I. iii. 75 देखें-समुदाय I. iii.75 . उत्... -III. iii. 29 देखें - उन्योः III. 1. 29 उत्-IV.i. 115 (संख्या, सम् तथा भद्र पूर्व वाले मातृ शब्द से अपत्य अर्थ में अण् प्रत्यय होता है साथ ही मातृ शब्द को) उकार अन्तादेश (भी) हो जाता है। उत्.. - V.iv. 135 देखें - उत्पूति० V. iv. 135 उत्..-V.iv. 148 देखें-उद्विभ्याम् V. iv. 148 उत् -VI. 1. 107 (ऋकार से उत्तर ङसि तथा डस् का अकार हो तो पूर्व पर के स्थान में) उकार एकादेश होता है,(संहिता के विषय में)। उत् - VI. iv. 110 (उकार प्रत्ययान्त कृ अङ्ग के अकार के स्थान में) उका- रादेश हो जाता है; कित्,डित् सार्वधातुक परे रहते)। उत् - VI.i. 127 (दिव् पद को) उकारादेश होता है। उत् -VII. I. 102 (ओष्ठ्य वर्ण पूर्व है जिस ऋकार से, तदन्त घातु को) उकारादेश होता है। उत्-VII. iv.88 (चर तथा त्रिफला धातुओं के अभ्यास से परे अकार के स्थान में) उकारादेश होता है, (यङ् तथा यङ्लक परे रहते)। उत... -III. iii. 141 देखें-उताप्योः III. iii.141 . . . . उत..-III. 1. 152 देखें-उताप्योः III. 1. 152.. .. उतः - IV.I. 44 उकारान्त (गुणवचन) प्रातिपदिक से (स्त्रीलिंग में विकल्प से डीप् प्रत्यय होता है)। उतः - IV.1.66 उकारान्त (मनुष्य जातिवाची) प्रातिपदिकों से (स्त्रीलिङ्ग में ऊङ् प्रत्यय होता है)। उतः -VI. iv. 106 (असंयोग पूर्व वाले) उकारान्त (प्रत्यय) अङ्ग से उत्तर (हि का लुक होता है)। उत -VII. iii. 89 (हलादि पित् सार्वधातुक परे रहते लुक् हो जाने पर) उकारान्त अङ्ग को (वृद्धि होती है)। उताप्यो: -III. iii. 141 'उताप्योः समर्थयोलिङ् III. iii. 152 से (पहले पहले जितने सूत्र हैं, उनमें लिङ्का निमित्त होने पर क्रिया की अतिपत्ति में विकल्प से लुङ् प्रत्यय होता है,भूतकाल में)। उताप्योः - III. iii. 152 . (समानार्थक) उत तथा अपि उपपद हों तो (धातु से लिङ् प्रत्यय होता है)। उताहो-VIII. I. 49 . (अविद्यमान पूर्ववाले आहो तथा)उताहो से युक्त (व्यवधानरहित तिङन्त को भी अनुदात्त नहीं होता है)। ...उतौ-VIII. ii. 106 देखें - इदतौ VIII. I. 106 ...उतौ-VIII. ii. 107 देखें - इदुतौ VIII. ii. 107 उत्क: -V.ii. 80 उत्क शब्द उत् पूर्वक कन् प्रत्ययान्त निपातन किया जाता है.(उदास मन वाला' अर्थ में)। उत्करादिभ्यः - IV. ii. 89 उत्करादि प्रातिपदिकों से (चातुरर्थिक छ प्रत्यय होता है।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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