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________________ ... 98 इणः ...इस्रो: -II. iv.58 इट् -VII. 1.66 देखें-अणिोः II. iv.58 (अद् भक्षणे,ऋगतो,व्ये संवरणे - इन अङ्गों के थल् ...इत्रोः -IV.i.78 को) इट् आगम होता है। देखें- अणिजोः IV. 1.78 इट: -III. iv. 106 ...इजोः -IV.i. 101 (लिङादेश उत्तमपुरुष एकवचन) इट् के स्थान में (अत् . . देखें - यत्रिलो: IV. 1. 101 आदेश होता है)। इट् -I. ii.2 इट: -VIII. ii. 28 (ओविजी' से परे) इडादि प्रत्यय (ङिद्वत होते है)। इट् से उत्तर (सकार का लोप होता है, ईट् परे रहते)। ...इट्.. -III. iv. 78 इट: -VIII. iii. 79 देखें-तिप्तस्झि० III. iv.78. (इण् से परे) इट् से उत्तर (पीध्वम्, लुङ् तथा लिट् के इट् -V.i. 23 धकार को विकल्प से मूर्धन्य आदेश होता है)। (वतुप्रत्ययान्त सङ्ख्यावाची प्रातिपदिक से 'तदर्हति' ....इटाम् -I.1.6 पर्यन्त कथित अर्थों में कन् प्रत्यय होता है तथा उसकन् को देखें -दीधीवेवीटाम I.16 विकल्प से) इट् आगम होता है। इटि-VI. iv.64 इट् -VI.i. 190 (सेट् थल् परे रहते) इट् अथवा प्रकृतिभत शब्द के इडादि (आर्धधातुक तथा अजादि कित,डित आर्धधा(अन्त्य अथवा आद्य स्वर को विकल्प से उदात्त हो तुक) प्रत्ययों के परे रहते (आकारान्त अङ्गका लोप होता इट् - VI. iv.62 (भाव तथा कर्मविषयक स्य,सिच.सीयुट और तास के इटि - VII. 1. 62 परे रहते उपदेश में अजन्त धातुओं तथा हन,ग्रह एवं दृश् (लिड्भित्र) इजादि प्रत्यय परे रहते (रध् अङ्ग को नुम् धातुओं को विकल्प से चिण के समान कार्य होता है तथा) आगम नहीं होता)। इट् आगम (भी) होता है। इटि-VII. ii.4 इट् - VII. ii. 8 (परस्मैपदपरक) इडादि (सिच्) परे रहते (हलन्त अङ्ग को (वशादि कृत् प्रत्यय परे रहते) इट् का आगम (नहीं वृद्धि नहीं होती)। होता)। इडाया: -VIII. 11.54 इट् - VII. ii. 35 इडा शब्द के (षष्ठी विभक्ति के विसर्जनीय को विकल्प (वल् प्रत्याहार आदि में है जिसके,ऐसे आर्धधातुक को) से सकार आदेश होता है; पति, पुत्र, पृष्ठ, पार,पद,पयस् • इट् का आगम होता है। तथा पोष शब्द के परे रहते, वेद-विषय में)। इट् - VII. ii. 41 ...इण... -III. ii. 157 (वृ तथा ऋकारान्त धातुओं से उत्तर सन् आर्धधातुक को देखें - जिदृक्षि० III. ii. 157 विकल्प से) इट् आगम होता है। इण... - III. ii. 163 इद् -VII. ii. 47 देखें - इण्नश III. ii. 163 निर पूर्वक कुष् से उत्तर निष्ठा को) इट् आगम होता है। ....इण... - III. v. 16 इट् - VII. 1. 52 देखें-स्थेण्कृषIII. iv. 16 "विस् तथा क्षुध धातु से परे क्त्वा तथा निष्ठा प्रत्यय को) इट् आगम होता है। इण... - VIII. iii. 57 देखें-इण्को : VIII. Iii. 57 इट् - VII. ii. 58 इण: -II. iv.45 (गम्ल धातु से उत्तर सकारादि आर्धधातुक को परस्मैपद परे रहते) इट् का आगम होता है। इण को (गा आदेश होता है,लुङ् आर्धधातुक परे रहते)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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