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________________ आमः 90 आप्रेडिते . आमः -II. iv. 81 आमि -I. iv.5 आम् प्रत्यय से उत्तर (च्लि का (इयङ्,उवङ्स्थानी स्त्री की आख्यावाले ईकारान्त ऊकाआमः - VIII. 1.55 रान्त शब्दों की) आम् परे रहते (विकल्प से नदी सजा आम् से उत्तर (एक पद का व्यवधान है जिसके मध्य नहीं होती,स्त्री शब्द को छोड़कर)। में, ऐसे आमन्त्रित-सज्ञक पद को अनन्तिक = दूरवर्ती आमि - VII. i. 52 अर्थ में अनुदात्त नहीं होता)। (अवर्णान्त सर्वनाम से उत्तर) आम् को (सुट् का आगम होता है)। आमन्ताल्वाय्येत्विष्णुपु - VI. iv. 55 आम्, अन्त, आलु, आय्य, इलु.इष्णु- इनके परे रहते (णि को अय् आदेश होता है)। . . (किम्, एकारान्त, तिङन्त तथा अव्ययों से विहित जो ...आमन्त्रण... - III. iii. 161 तरप् तथा तमप् प्रत्यय, तदन्त से) आमु प्रत्यय होता है, (द्रव्य का प्रकर्ष न कहना हो तो)। देखें-विधिनिमन्त्रणाo III. iii. 161 आमन्त्रितम् -II. iii. 48 ...आमुष.. -III. ii. 142 (सम्बोधन में विहित प्रथमान्त शब्दों की) आमन्त्रित संज्ञा देखें-सम्पृचानुरुथा. III. I. 142. होती है। आम्प्रत्ययवत् -I. iii. 63 जिस धात से आम प्रत्यय किया गया है.उसके समान आमन्त्रितम् - VIII. 1.55 (आम से उत्तर एक पद का व्यवधान है जिसके मध्य में, ही (पश्चात् प्रयोग की गई कृ धातु से आत्मनेपद हो' ऐसे) आमन्त्रित सजक पद को (अनन्तिक अर्थ में अनुदात्त जाता है)। नहीं होता)। ...आम्ब... - VIII. iii. 97 आमन्त्रितम् - VIII. 1.72 देखें-अम्बाम्ब० VIII. iii.97 (किसी पद से पूर्व आमन्त्रित-सब्जक पद हो तो वह) ...आ... - VIII. iv.5 आमन्त्रित पद (अविद्यमान के समान माना जावे)। देखें-प्रनिरन्त० VIII. iv.5 आमन्त्रितस्य -VI. 1. 192 आग्रेडितम् - VII. 1.95 आमन्त्रित-सञ्जक के (भी आदि को उदात्त होता है)। (भर्त्सन में) आमेडित को (प्लुत उदात्त होता है)। आमन्त्रितस्य -VIII. 1.8 आमेडितम् - VIII. 1.2 (वाक्य के आदि के) आमन्त्रित को द्वित्व होता है,यदि (उस द्वित्व किये हये के पर वाले शब्दरूप की) आमेडित वाक्य से असूया,सम्मति,कोप,कुत्सन एवं भर्त्सन गम्य- सज्जा होती है। मान हो रहा हो तो)। ...आप्रेडितयोः -VIII. iii. 49 आमन्त्रितस्य - VIII. 1. 19 देखें- अप्रामेडितयो: VIII. iii. 49 (पाद के आदि में वर्तमान न हो तो पद से उत्तर) आग्रेडितस्य-VI.i.96 आमन्त्रित-सज्ञक (सम्पूर्ण) पद को (भी अनुदात्त होता आमेडित-सज्ञक जो (अव्यक्तानुकरण का अत्) शब्द, उसे (इति परे रहते पररूप एकादेश नहीं हो,किन्तु जो उस आमन्त्रिते -II.i.2 आमेडित का अन्त्य तकार, उसको विकल्प से पररूप आमन्त्रित-सज्ञक पद के परे रहते (पूर्व के सुबन्त पद एकादेश होता है. संहिता के विषय में)। को पर के अङ्ग के समान कार्य होता है, स्वरविषय में)। आप्रेडिते -VIII. ii. 103 आमन्त्रिते-VIII. 1.73 आमेडित परे रहते (पूर्वपद की टि को स्वरित होता है। (समान अधिकरण वाला) आमन्त्रित पद परे हो तो। असूया,सम्मति,कोप तथा कुत्सन गम्यमान होने पर)। (उससे पूर्ववाला आमन्त्रित पद अविद्यमान के समान न आग्रेडिते-VIII. iii. 12 हो)। (कान शब्द के नकार को रु होता है),आमेडित परे रहते।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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