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________________ ५१९५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चौवीस जिन अंतरकाल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १७२८, आदि-पंच परमेष्ठि मन सुद्ध... गा. २९', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २६१ ५१९६. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चौवीस जिन गणधर सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं , 'आदि-वंदो जिन चउवीस... गा. १', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २२१ ५१९७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चौवीस दण्डक स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७२८ जैसलमेर, 'आदि-पूर मनोरथ पास जिनेसर... गा. ३३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २७० ५१९८. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, चौवीस जिन सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-आदि ही कौ तीर्थंकर... गा. २५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १६२ ५१९९. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, छत्रपति शिवाजी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७३३ सूरत, आदि-सकति काइ साधना... गा. ४', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. १४८ ५२००. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जम्बू स्वामी स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, ___'आदि–छोड़ो ना जी कंचन नै कामिनी... गा. ५', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २२७ ५२०१. धर्मवर्धन / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि छन्द, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि खरतरगच्छ जाणै खलक... गा. ७', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २०९ ५२०२. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि छप्पय, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-सरब सोभ गुण सकल... गा. २', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३३, दादागुरु भजनावली, पृ. २१४ ५२०३. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि सवैया, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-राजै धुंभ ठौर ठौर... गा.१', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३३, दादागुरु भजनावली, पृ. २१७ ५२०४. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, आदि-कुशल करण जिनकुशलजी... गा. ७', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३०, दादागुरु भजनावली; पृ. २९१ ५२०५. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-कुशल करो जिनकुशलजी... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३४, दादागुरु भजनावली, पृ. २९२ ५२०६. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-कुशल गुरु नामै नवनिधि पामै... गा. ३', मु., धर्मवर्द्धन ग्रन्थावली, पृ. २३१, दादागुरु भजनावली, पृ. २९२ ५२०७. धर्मवर्द्धन उ० / विजयहर्ष उ०, जिनकुशलसूरि स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७४५, 'आदि-दादो देरावर... गा. १०', मु., दादागुरु भजनावली, पृ. २९३ खरतरगच्छ साहित्य कोश 379 Jain Education International. For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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