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________________ ३५८४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (शंखेश्वर), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८२६, आदि-सेवो प्रभु सिवसुखकारी... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५८५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (गौडी), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-हारे गवडीपुर मंडण स्वामी... गा.७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५८६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्वनाथ प्रतिष्ठा स्तवन मंडोवर, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६७ मंडोवर, अ. ३५८७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्वनाथ प्रतिष्ठा स्तवन महाजन होरी, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४७ महाजन, अ. ३५८८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्वजिन स्तवन ( महेवा), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३४ महेवा, अ.. ३५८९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पावापुरी महावीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४७ पावापुरी, अ. ३५९०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, भगवती सूत्र सज्झाय, सज्झाय, राजस्थानी, १८४२ बालूचर, अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ३५९१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, महावीर जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-बंदु जगदाधार सार... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विहरमान जिन नमस्कार, गीत स्तवन, राजस्थानी, . १९वीं, आदि-वंदु जिणवर विहरमाण... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, विहरमान जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-वीसे विहरमान जिनराया... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, वीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १८४८, - 'आदि-आज हृदयकमल प्रगट्यो आनंद... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९५.. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, वीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-इण वन वीर समोसरया... गा. ९', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, वीर जिन पद, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-किन देखावे शिवगामी हमारा स्वामी... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, वीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, .. 'आदि-जगतपति वीर जिनजी के... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, वीर जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-वीरजी दिये छे देसना रे... गा. ७', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५९९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, वीर जिन स्तवन ( पावापुरी), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-वीरप्रभु त्रिभुवन उपकारी... गा. ५', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि खरतरगच्छ साहित्य कोश 269' Jain Education International For Personal & Private Use Only :www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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