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________________ ३५६८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (नवखण्डा), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८३०, 'आदि- नवखंडा प्रभु मुझ वीनती... गा. ६', अ., ह. विनय प्रतिलिपि गीत स्तवन, , राजस्थानी, १९वीं, ३५६९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, 'आदि-नित प्रणमुं वामानंदजी... गा. ४', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-पारसप्रभुजी का दरसण करिलै... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (सम्मेतशिखर), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- पारस प्रभु साहिब मेरे... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन ( फलवर्द्धि), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री फलवद्धी पुर जइयै... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्वनाथ स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, 'आदिमधुवन में जाय मचीरे होरी... गा. ४', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोध. ३१२२५ (२९९) ३५७४. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन ( बुरहानपुर), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं,‘आदि - मनमोहन प्रभु पास जिणेसर... गा. ३', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ३५७५. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन ( मनमोहन ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- मनमोहन महाराज... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ३५७६. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, 'आदि- रसना सफल भइ... गा. ३', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७७. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (लौद्रवा ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८५८, 'आदि-लौद्रवपुर मंडण प्रभुपास... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७८. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (गौडी), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि-श्री गौडी प्रभु पासजी... मु., ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५७९. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (चिंतामणि ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, ‘आदि - श्री चिंतामणि पासजी... गा. ६', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५८०. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (लौद्रवा ), गीत स्तवन, राजस्थानी, १९वीं, 'आदि- श्री चिंतामणि स्वामजी... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि स्तवन, ३५८१. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (शंखेश्वर), गीत स्तवन, राजस्थानी, १८६६, 'आदि-श्री शंखेश्वर पासजी रे... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५८२. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन (लौद्रवा ), गीत , राजस्थानी, १८३६, 'आदि-सहस्रफणा प्रभु पासजी रे... गा. ७', अ., ह. विनय प्रतिलिपि ३५८३. क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, पार्श्व जिन स्तवन, गीत स्तवन, , राजस्थानी, १९वीं जयपुर, 'आदि-सुगुण नर श्रीजिन गुणमान... गा. ५', अ., ह. विनय प्रतिलिपि 268 Jain Education International खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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