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________________ शोधोपयोगी ग्रन्थ आपकी तरफ से खरतरगच्छ साहित्य कोश ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है। उसके लिये बहुतबहुत अभिनन्दन । इस प्रकार के सुन्दर ग्रन्थ प्रकाशित होते रहें तो संशोधकों के लिये बहुत ही उपयोगी होंगे। इस प्रकार के ग्रन्थों का पुन:-पुनः संशोधन, सम्पादन करते रहें। इसी शुभेच्छा के साथ फाल्गुन वदि २, संवत् २०६२ विजयचन्द्रोदयसूरि का धर्मलाभ (गुजराती से हिन्दी अनुवाद) एक अभूतपूर्व कार्य खरतरगच्छ साहित्य कोश यह ग्रन्थ महोपाध्याय श्री विनयसागरजी द्वारा सम्पादित और प्राकृत भारती अकादमी एवं एम.एस.पी.एस.जी चेरिटेबल ट्रस्ट, जयपुर द्वारा प्रकाशित हो रहा है। उसकी बहुत-बहुत अनुमोदना करते हैं। खरतरगच्छ के प्रारम्भ से लेकर आज तक जितने भी ग्रन्थ निर्मित हुए हैं उस सबकी जानकारी इस ग्रन्थ द्वारा मिल सकेगी। विशेष रूप से संशोधन कर्ता विद्वानों को कौनसा ग्रन्थ प्रकाशित और कौनसा अप्रकाशित है? इन सबकी विस्तृत जानकारी मिल सकेगी। श्री विनयसागरजी ने वृद्धावस्था में भी ज्ञान प्रसार की भावना से और अधिक से अधिक विद्वान् संशोधन कार्य में रस लें, ऐसी अन्तर की सच्ची भावना से यह कोश लिखा है। अप्रकाशित ग्रन्थ कौनसे ज्ञान भण्डार में से प्राप्त होगा? इसकी सूचना भी इसमें प्राप्त हो सकेगी, जो आज तक प्रायः किसी संशोधक ने कदाचित् नहीं ली हो! श्री विनयसागरजी ने इस प्रकार से स्वयं के जीवन में जहाँ-जहाँ से जो-जो जानकारी प्राप्त की है। वह सब संशोधकों के लिये संशोधन में सहायक रूप बनें, उस प्रकार से वे प्रकाशित करते रहें। ऐसी अर्न्तहृदय की शुभकामना है। ___ इस ग्रन्थ का अवलोकन कर प्रत्येक गच्छ-समुदाय के विद्वत्गण प्रेरणा लेकर 'साहित्य कोश' का निर्माण (संकलन) करें तो इस ग्रन्थ की वास्तविक अनुमोदना होगी। फाल्गुन वदि २, बुधवार, २०६२ पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री विजयअशोकचन्द्रसूरिजी दिनाङ्क १५-२-२००६ महाराज की आज्ञा से विजयसोमचन्द्रसूरि (गुजराती से हिन्दी अनुवाद) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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