SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 120
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६१७. चक्रेश्वरी स्तोत्र , जिनदत्तसूरि / जिनवल्लभसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १२वीं, आदि-श्री चक्रेश्वरी चक्रचुंबित - करे..., अन्त-श्रीचक्रेश्वी विश्वविस्मयकरी... गा. १०', अ., ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर ६१८. चतुरप्रिया, कीर्त्तिवर्द्धन / दयारत्न आद्यपक्षीय, लक्षणशास्त्र, राजस्थानी, १७०४, अ., ह राजस्थानी शोधसंस्थान चौपासनी, जोधपुर ६१९. चतुरशीतिराशातनास्थान, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि लघुखरतर, विधि, प्राकृत, १४वीं, अ., ह. संघ भं., पाटण ६२०. चत्तारि परमंगाणि टीका, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, आगम, संस्कृत, १६८७ पाटण, 'अन्त–नवीन शिष्यस्य पूर्व अकृत व्याख्यानस्य हितकृते...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर ६२१. चतुर्दशस्वरवादस्थन, श्रीवल्लभोपाध्याय / ज्ञानविमलोपाध्याय, व्याकरण, संस्कृत, १७वीं, ___ 'आदि-श्रीसिद्धि भवतान्तरां भगवती..., अन्त-श्रीजिनराजसूरीन्द्रे...', अ., ह. विनय. प्रतिलिपि ६२२. चतुःशरणप्रकीर्णक बालावबोध, मुनिमेरुगणि / कमलसंयम उ०, आगम, राजस्थानी, १५वीं, अ., ह. तपागच्छ ज्ञान भं., जैसलमेर ६२३. चतुःशरणप्रकीर्णक सन्धि, चारित्रसिंहगणि / मतिभद्र उ०, रास चौपई, राजस्थानी, १६३१ जैसलमेर, 'आदि–पय पणमवि चउवीस..., अन्त–नित नवनिधि वृद्धि...', अ., ह. दानसागर बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ४६९८ ६२४. चतुःशरण स्तोत्र, लब्धिमुनि उ० / राजमुनि, स्तोत्र, संस्कृत-हिन्दी, २०वीं, 'मूल आदि आप्तोष्टादशदोषशून्य..., अन्त–धन्योहं कृतपुण्यकोहमधुना...', मु., सुमति कार्यालय कोटा, ह. विनय. प्रतिलिपि, जिनदत्तसूरि ज्ञान भं. ६२५. चतुर्विंशति जिन नमस्कार, जिनचन्द्रसूरि / जिनप्रबोधसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १४वीं, आदि देवतियण पणय..., अन्त–इय निम्मलगणगण वद्धमाणं...गा. २५'.अ..ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा, विनय. प्रतिलिपि ६२६. चतुर्विंशति जिन नमस्कार, जिनशेखरसूरि / जिनतिलकसूरि, स्तोत्र, अपभ्रंश, १५वीं, 'आदि–तिहुयणमंडण विमलनाहिकुल..., अन्त–सिरि सिद्धत्य नरिंद वंस...', अ., उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. १४८४ ६२७. चतुर्विंशति जिन नमस्कार, क्षमाकल्याणोपाध्याय / अमृतधर्म उ०, स्तोत्र, राजस्थानी १८५६ नागपुर, 'आदि-ऋषभादिक चौवीस देव..., अन्त–सय सठार छप्पन्न समै...', ह. खरतरगच्छ ज्ञान भं., जयपुर, मु. ६२८. चतुर्विंशति जिन नमस्कार स्तोत्र, जिनराजसूरि / जिनोदयसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १५वीं, आदि प्रथमजिनवर निखिलनरनाथ संसेवित... गा. २५', अ., ह. रा.प्रा.वि.प्र., जोधपुर २५८७६ ६२९. चतुर्विंशति जिन नमस्कार, पूर्णभद्रगणि / जिनपतिसूरि, स्तोत्र, संस्कृत, १३वीं, आदि-यो मारुदेवो नृपनाभिसूनु..., अन्त–इत्थं चतुर्विंशजिनाधिराजः... गा. २५', अ., ह. विजय धर्मलक्ष्मी ज्ञान मन्दिर, आगरा 50 खरतरगच्छ साहित्य कोश । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy