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________________ ११६ निरुक्त कोश ५६७. जीहा (जिह्वा) जायते जयति जिनति वा जिह्वा ((उचू पृ २०६) जो जन्म के साथ उत्पन्न होती है, वह जिह्वा है । ___ जो सब इन्द्रियों को जीतती है, वश में करती है, वह जिह्वा है। ५६८. जुवाण (युवन्) यौवनस्थोऽहमित्यात्मानं मन्यते यः भवति जुवाणो।' (अनुद्वाचू पृ ५६) जो अपने आपको यौवन में अवस्थित मानता है, वह युवक युवा-यौवनस्थः प्राप्तवया एष इत्येवम् अणति-व्यपदिशति लोको यमसौ निरुक्तिवशात् युवानः। (अनुद्वामटी प १६२) 'यह युवा है'--इस रूप में लोग जिसका व्यपदेश करते हैं, वह युवक है। ५६६. जूव (यूप) युवंति तेनात्मनः यूपा। (उचू पृ २११) जिससे पशुओं को बांधा जाता है, वह यूप/यज्ञ-स्तम्भ है। १. जिब्भिन्दिउ नायगु वसि करहु जसु अधिन्नई अन्नइं । (प्रा पृ ५६९) २. 'जिह्वा' के अन्य निरुक्त जिह्वा कोकुवा । कोकूयमाना वर्णान्नुदतीति वा जिह्वा । (नि ५/२६) __जो पुन: पुनः पुकारती है, वह जिह्वा है । लेढि रसान् जिह्वा । (अचि पृ १३२) जो रसों का आस्वाद लेती है, वह जिह्वा है। (लिहेजिह चउणा ५१३) ३. 'युवा' का अन्य निरुक्तयौति मिश्रीभवति स्त्रिया युवा। (अचि पृ ७६) जो स्त्री के साथ युक्त होता है, वह युवा है । ४. यूयते पशुरनेन यूपः । (अचि पृ १८३) यु-बन्धे । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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