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________________ ४५८ ब्रह्मसूत्रभाष्यवार्तिक-ब्रह्माण्डपुराण द्वैतवादी आचार्य रामानुज के भाष्य को 'श्रीभाष्य' कहते नाभिकमल से ब्रह्मा की स्वयं उत्पत्ति हुई, हैं । आचार्य मध्व ( आनन्दतीर्थ ) का द्वैतवादी भाष्य ___ 'स्वयंभू' कहलाते हैं। घोर तपस्या के पश्चात् इन्होंने है । कहा जाता है, विष्णुस्वामी ने भी एक भाष्य रचा ब्रह्माण्ड की सृष्टि की थी । वास्तव में सृष्टि ही ब्रह्मा का था, अब उसके स्थान पर वल्लभाचार्य का 'अणुभाष्य' प्रच- मुख्य कार्य है । सावित्री इनकी पत्नी, सरस्वती पुत्री और लित है। 'वेदान्तपारिजातसौरभ' नाम से द्वैताद्वैतवादी हंस वाहन है । ब्राह्म पुराणों में ब्रह्मा का स्वरूप विष्णु के आचार्य निम्बार्क का सूक्ष्म भाष्य है। भेदाभेद मत के अनु- सदृश ही निरूपित किया गया है। ये ज्ञानस्वरूप, परमेश्वर, सार भास्कराचार्य (९०० ई०) ने भी ब्रह्मसूत्र पर भाष्य अज, महान् तथा सम्पूर्ण प्राणियों के जन्मदाता और रचा है। बलदेव विद्याभूषण ने गौडीय (चैतन्य) सम्प्र- अन्तरात्मा बतलाये गये हैं। कार्य, कारण और चल, अचल दाय का अचिन्त्य भेदाभेदवादी भाष्य बनाया है। रामा- सभी इनके अन्तर्गत है । समस्त कला और विद्या इन्होंने ही नन्दी वैष्णव सम्प्रदाय के 'आनन्दभाष्य' और 'जानकी- प्रकट की हैं। ये त्रिगुणात्मिका माया से अतीत ब्रह्म हैं । भाष्य' भी अब प्रकाशित हो गये हैं। शैव सम्प्रदाय का ये हिरण्यगर्भ हैं और सारा ब्रह्माण्ड इन्हीं से निकला है। अनुसारी 'श्रीकण्ठभाष्य' मध्यकाल में निर्मित हो गया था। यद्यपि ब्राह्म पुराणों में त्रिमूर्ति के अन्तर्गत ये अग्रगण्य म० म० पं० प्रमथनाथ तर्कभूषण ने कुछ समय पूर्व और प्रथम बने रहे, किन्तु धार्मिक सम्प्रदायों की दृष्टि 'शक्तिभाष्य' की रचना की है। से इनका स्थान विष्णु, शिव, शक्ति, गणेश, सूर्य आदि से ब्रह्मसूत्रभाष्यवार्तिक---आचार्य शङ्कर के शिष्य सुरेश्वरा- गौण हो गया, इनका कोई पृथक् सम्प्रदाय नहीं बन चार्य द्वारा रचित इस ग्रन्थ में केवलाद्वैतवादी शाङ्करमत पाया । ब्रह्मा के मन्दिर भी थोड़े ही हैं। सबसे प्रसिद्ध का प्रतिपादन हुआ है। ब्रह्मा का तीर्थ अजमेर के पास पुष्कर है । वृद्ध पिता की तरह ब्रह्मसूत्रभाष्योपन्यास-विशिष्टाद्वैतवादी विद्वान् दोद्दय देवपरिवार में इनका स्थान उपेक्षित होता गया। वैष्णव महाचार्य द्वारा रचित ब्रह्मसूत्रभाष्योपन्यास १६वीं शताब्दी और शैव पुराणों में ब्रह्मा को गौण प्रदर्शित करने के का ग्रन्थ है। बहुधा प्रयत्न पाये जाते हैं । विष्णु के नाभिकमल से ब्रह्मा ब्रह्मसूत्रवृत्ति-सदाशिवेन्द्र स्वामी के रचे गये ग्रन्थों में की उत्पत्ति स्वयं विष्णु के सामने इनकी गौणता की ब्रह्मसूत्रवृत्ति बहुत लोकप्रिय है। इसके अध्ययन के बाद द्योतक है। मार्कण्डेय पुराण के मधु-कैटभवध प्रसंग में शाङ्करभाष्य को समझना सरल हो जाता है । इसका अन्य विष्णु का उत्कर्ष और ब्रह्मा की विपन्नता दिखायी नाम 'ब्रह्मतत्त्वप्रकाशिका' है। गयी है । ब्रह्मा की पूजामूर्ति के निर्माण का वर्णन मत्स्यब्रह्महत्या-इसका उल्लेख यजुर्वेद संहिताओं तथा ब्राह्मणों में पुराण (२५९.४०-४४) में पाया जाता है। अत्यन्त घृणित पाप के रूप में हुआ है । हत्यारे को 'ब्रह्महा' ब्रह्माणो-शक्ति को सामान्य पूजा में जगन्माताओं (विभिन्न कहा गया है । स्मृतियों में भी 'ब्रह्महत्या' महापातकों में देवों की पत्नियों) की पूजा होती है। ये माताएँ आठ है, गिनायो गयी है और इसके प्रायश्चित्त का विस्तत विधान जो आठ देवों से सम्बन्धित हैं। इनको 'अष्ट मातृका' भी किया गया है। कहते हैं । ब्रह्माणी का सम्बन्ध ब्रह्मा से है। ब्रह्मा-सर्वश्रेष्ठ पौराणिक त्रिदेवों में ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव ब्रह्माण्ड उपपुराण-उन्तीस उपपुराणों में से एक ब्रह्माण्ड की गणना होती है। इनमें ब्रह्मा का नाम पहले आता है, भी है। क्योंकि वे विश्व के आद्य सष्टा, प्रजापति, पितामह तथा ब्रह्माण्डपुराण-अठारह महापुराणों में इसकी गणना है । हिरण्यगर्भ है । दे० प्रजापति। पुराणों में जो ब्रह्मा का रूप इसकी संक्षिप्त विषयसुची नारदीय पुराण में पायी जाती वणित मिलता है वह वैदिक प्रजापति के रूप का विकास है। इसमें १२००० (बारह सहस्र) के लगभग श्लोक है । है । प्रजापति की समस्त वैदिक गाथाएँ ब्रह्मा पर आरो- इसके अन्तर्गत 'ललितोपाख्यान' भी माना जाता है । इसी पित कर ली गयी हैं। प्रजापति और उनकी दुहिता की पुराण का अंश प्रसिद्ध रामचरित्र अध्यात्मरामायण' कही कथा पुराणों में ब्रह्मा और सरस्वती के रूप में वर्णित हई जाती है, किन्तु मूल पुराण या उसकी सूची में इसकी है। पुराणों के अनुसार क्षीरसागर में शेषशायी विष्णु के चर्चा नहीं है। रामायण की कथा अन्य पुराणों में भी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016098
Book TitleHindu Dharm Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajbali Pandey
PublisherUtter Pradesh Hindi Samsthan Lakhnou
Publication Year1978
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size27 MB
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