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________________ २५४ के अनुसार इसमें कुल २८ अध्याय है। इसके कलकत्ता संस्करण में एक अध्याय और 'कर्मविपाक' पर जोड़ दिया गया है । गौतम बुद्ध - ५६२ ई० पू० शाक्य गण में इनका जन्म हुआ था । इन्होंने बौद्ध धर्म का प्रचार किया । सनातनी हिन्दू इन्हें भगवान् विष्णु का नवाँ अवतार मानते हैं । नित्य के संकल्प में प्रत्येक हिन्दू बुद्ध को वर्तमान अवतार के रूप में स्मरण करता है। बोधगया में इनका मन्दिर है जिसके बारे में सनातनियों का विश्वास है कि भगवान् विष्णु ने यह नवां अवतार असुरों को माया मोह में फँसाने के लिए लिया, वेदप्रतिपादित यज्ञविधि की निन्दा की और अहिंसा एवं प्रव्रज्या का प्रचार किया कि असुर लोग, जो उस समय बहुत प्रबल थे, शाम्त और संसार से विरत रहें। विष्णुपुराण, श्रीमद्भागवत, अग्निपुराण, वायुपुराण, स्कन्दपुराण एवं बाद के ग्रन्थों में ये ही भाव गौतम बुद्ध के प्रति प्रकट किये गये हैं। वल्लभाचार्य ने ब्रह्मसूत्र, द्वितीय पाद, छब्बीसवें सूत्र की व्याख्या में एक आख्यायिका दी हैं, जो सनातनियों के उपर्युक्त विचारों की पोषिका है। गौतमस्मृति - अष्टाविंशति स्मृतियों में एक मुख्य स्मृति । गौतमीयतन्त्र - 'आगमतत्त्वविलास' में उल्लिखित चौसठ तन्त्रों की सूची में 'गौतमीय तन्त्र' एवं 'बृहत् गौतमीय तन्त्र' नामक दो तन्त्रों का उल्लेख है । गौरचन्द्र - अधिक सुन्दर एवं शुभ्र वर्ण होने के कारण चैतन्य को अनेक भक्त गौरचन्द्र कहा करते थे। उनकी प्रशंसा में 'गौरचन्द्रिका' नामक पुस्तक भी लिखी गयी है। गौर चन्द्रिका - चैतन्य के रूपगुणों की प्रशंसा में उनके शिष्यों ने यह ग्रन्थ रचा। दे० 'गौरचन्द्र' | गौराङ्गाष्टक - चैतन्य साहित्य में गौराङ्गाष्टक नामक संस्कृत ग्रन्थ का भी नाम आता है। इसका उस सम्प्रदाय में नित्य पाठ किया जाता है। गौरीकुण्ड – केदारनाथ मन्दिर से आठ मील नीचे यह एक पवित्र कुण्ड (जलाशय) है। यहाँ दो कुण्ड हैं—एक गरम पानी का और दूसरा ठंडे पानी का शीतल जल का कुण्ड । अमृतकुण्ड कहा जाता है। कहते है, भगवती पार्वती ने इसी में प्रथम स्नान किया था। गौरीकुण्ड का जल काफी उष्ण है । जनविश्वास के अनुसार माता पार्वती का जन्म यहाँ हुआ था । यहाँ पार्वती का मन्दिर भी है । गौरीगणेशचतुर्थी- किसी भी चतुर्थी के दिन इस व्रत का अनुष्ठान हो सकता है। इसमें गौरी तथा गणेश के पूजन का विधान है। इससे सफलता तथा सौभाग्य सुरक्षित रहते हैं । Jain Education International गौतमबुद्ध-गौरीवत गौरीगणेशपूजा सभी सम्प्रदायों के हिन्दुओं में मङ्गल कार्यों के आरम्भ में गौरी-गणेश की पूजा सबसे पहले होती है। यात्रा के आरम्भ में गौरी-गणेश का स्मरण किया जाता गौरीचतुर्थी - माघ शुक्ल चतुर्थी को गौरीपूजन का विधान सर्वसाधारण के लिए है। किन्तु विशेष रूप से महिलाओं द्वारा कुछ पुष्पों से विदुषी ब्राह्मणस्त्रियों तथा विधवाओं की प्रतिष्ठा करनी चाहिए । गौरीतपोव्रत - इस व्रत का विधान केवल महिलाओं के लिए है। मार्गशीर्ष अमावस्या को इसका अनुष्ठान होता है । अर्द्धरात्रि के समय शिव तथा पार्वती की किसी शिवमन्दिर में पूजा करनी चाहिए। सोलह वर्षपर्यन्त इसका आचरण करना चाहिए। तदनन्तर पार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को इसका उद्यापन होना चाहिए। यह 'महाव्रत' भी कहा जाता है । गौरीतृतीयाव्रत -- चैत्र शुक्ल, भाद्र शुक्ल अथवा माघ शुक्ल तृतीया को इस व्रत का अनुष्ठान होता है। गौरी की पूजा उनके विभिन्न नामों से होती है। महादेव तथा गौरी की पूजा का इसमें विधान है। पार्वती के ये आठ नाम हैं: पार्वती, ललिता, गौरी, गायत्री, शाङ्करी, शिवा, उमा तथा सती । गौरीविवाह चैत्र मास की तृतीया, चतुर्थी अथवा पञ्चमी - को इस व्रत का अनुष्ठान करना चाहिए। शिव तथा गौरी की सुवर्ण, रजत, नीलम की प्रतिमाएँ धनी लोग बनवाकर उनका विवाह करें। सामान्य लोग चन्दन, अर्क पौधे की, अशोक अथवा मधूक नामक वृक्ष की प्रतिमाएँ बनाकर उनका विवाह करायें दे० कृत्यरत्नाकर, १०८-११० ( देवी पुराण से ) । , गौरीव्रत - ( १ ) आश्विन मास से चार मास तक इस व्रत का आचरण होता है । व्रती को दुग्ध अथवा दुग्ध की बनी वस्तुओं, दधि घृत तथा गन्ने का रस नहीं ग्रहण करना चाहिए, अपितु इन्हीं वस्तुओं को पात्रों में रखकर दान करना चाहिए । दान देते समय निम्न शब्दों का उच्चारण करना चाहिए, "गौरि, प्रसीदतु माम् ।" (२) केवल महिलाओं के लिए शुक्ल पक्ष में तृतीया से तथा चैत्र मास में कृष्ण पक्ष से एक वर्षपर्यन्त गौरी के भिन्न-भिन्न नामों से पूजन का विधान है । प्रत्येक तृतीया को भिन्न-भिन्न प्रकार का भोग भी विहित है । (३) तृतीया के दिन केवल महिलाओं के लिए भविष्यत् पुराण (१.२१.१ ) में इस व्रत का विधान है । लवणविहीन For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016098
Book TitleHindu Dharm Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajbali Pandey
PublisherUtter Pradesh Hindi Samsthan Lakhnou
Publication Year1978
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size27 MB
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