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________________ ने शब्द आगळ (एक) आवो शब्द आपलो होय ते शब्द एकाक्षर कोषमां आवेलो छे एम समजवानुं छे. तेनी पछी, सन्धि-पदोनी सूचि आपी छे ते एटला माटे के वे शब्दोनी वच्चे पाली व्याकरणना नियमानुसार सन्धि थवाना कारणे शब्दनुं स्पष्ट स्वरूप समजवामां ने कठिणता पडे ते ए सूचि जोवाथी दूर थई शके. ___ज्यां सुधी हुं जाणुं छु, पाली साहित्यमां आ जातनो मात्र आ एक न कोष उपलब्ध छे अने ते आ रीते प्रथम न देवनागरी लिपिमा प्रकट थाय छे; पाली-भाषाना विद्यार्थिओने पोताना अध्ययनमा ए खास मददगार निवडे एवी आशा रहे छे. मारा स्थानान्तरना निवास दरम्यान आ पुस्तकना प्रुफ विगैरे शोधवा-तपासवानुं काम, मारा तरुण-स्नेही श्रीयुत आर० डी० वाडेकर, बी. ए. (पूना ) ए जे उत्साह अने खंतथी कर्यु छे ते बदल हुं तेमनो खास आभारी छु. गुजरात पुरातत्त्व मंदिर अमदावाद मुनि जिनविजय चैत्र शुक्ल ९, संवत् १९८० ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016096
Book TitleAbhidhaappadipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year
Total Pages342
LanguagePrakrit, Pali
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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