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________________ ५३६ अमरकोषः। [ तृतीयकाडेवेतालभल्लमल्लाश्च पुरोडाशोऽपि' पट्टिशः। कुल्माषो रभसश्चैव सकटाहः पतग्रहः ॥ २१ ।। इति पुल्लिङ्गसंग्रहः। अथ नपुंसकलिङ्गसंग्रहः । बिहीनेऽन्यच्च २ खारण्यपर्णश्वहिमोदकम् । शीतोष्णमांसरुधिरमुखाक्षिद्रविणं बलम् ॥ २२ ॥ 'फलहेमशुल्बलोहसुखदुःखशुभाशुभम् जलपुष्पाणि लवणं व्यञ्जनान्यनुलेपनम् ॥ २३ ॥ वेतालः (प्रेत-विशेष), भल्लः (भालू, बाण-विशेष, पटा), माला (कुश्ती लड़ने में चतुर), पुरोडाशः ( यज्ञसम्बन्धी पूभा, हविष्य-विशेष,) पट्टिशः (+ पट्टिसः । अन-विशेष), कुल्माषः (भाधा गोला यव या उपद आदि), रभसः (हर्ष, वेग, पौर्वापर्यका विचार ), कटाहः (कराह ), पतग्रहः (पीकदान). ये ५५ शब्द पुंल्लिङ्ग होते हैं । इति पुंल्लिङ्गसंग्रहः। अथ मपुंसकलिङ्गसंग्रहः । , यहाँसे भागे 'पुनपुंसकयोः' (३।५।३२) के पहले तक 'द्विहीने इसका अधिकार होने से इसके मध्यवर्ती (बीचवाले) शब्द नपुंसकलिङ्ग होते हैं। "अभ्यत्' ग्रहण करने से जो बाधित न हों वे ही शब्द नपुंसकलिङ्ग होते हैं। . स्वम (इन्द्रिय )", अरण्यम (वन)२, पर्णम् (पत्ता) ३, वभ्रम् (पाताल, बिल ) , हिमम् (वर्फ)५, उदकम् (पानी) ६, शीतम् (ठण्ढा) ७, उष्णम् (गर्म) ८, मांसम् (मांस) ९, रुधिरम् (खून ) १०, मुखम् (मुंह)", अक्षि (ख) १२, द्रविणम् (धन) १३, बलम् (सेना) १४, फलम् (माम आदिका फल । +लम् अर्थात् जोतनेवाला हल) १५, हेम ( हेमन् । सुवर्ण) .. शुरुषम् (तामा) १७, लोहम (कोहा) १८, सुखम् (सुख) १९, दुःखम् (दुःख) २०, शुभम् (शुभ) २१, अशुभम् (अशुभ) २१, जलपुष्पम् (पानी में होनेवाले फूल) १५, लवणम् (नमक) २९, म्यानम् (तरकारी आदि) २५, अनुलेपनम् (लेप-भेद) १६ पे २६ शब्द १. पट्टिसः इति मुकुरः इति महे। १.विडीनेऽन्यब' इति पाठान्तरम् । ३. हेम-ति पाठान्तरम् ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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