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________________ नानार्थवर्ग:३] मणिप्रभाष्याख्यासहितः। ४२७ १ धेनुका तु करेण्यां च २ मेघजाले च कालिका । ३ कारिका' यातनावृत्याः ४ कणिका कर्णभूषणे ॥ १५॥ कारहरलेला पनबीजकोश्या ५ त्रिघूत्तरे। वृन्दारको रूपिमुख्याध्वेके मुख्यान्यकेवलाः ॥ १६ ॥ ७ स्याहाम्भिकः कोकटिको यश्चादूरेरितक्षणः। ८ लालाटिकः प्रभोर्भालदर्शी कार्याक्षमश्च यः ॥ १७ ॥ wwwrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr १ 'धेनुका' (स्त्री) के हथिनी, नथी ब्याई हुई गाय, १ भर्य और 'धेनुकः' ( ) का दान विशेष, , अर्थ है । १ 'कालिका' (स्त्री) के मेघजाल (बरसाती समय, मेघ समूह, नया मेघ), या स्वर्ण आदिका दोष (कालिमा), सुरा ( मदिरा ), काली देवी, ४ अर्थ हैं । 'कारिका' (स्त्री) के यातना (बहुत बुरी तरहसे कष्ट भोगना), कारिका (जैसे-मुकावली, वाक्यपदीय, साहित्य वर्पण आदिमें ), नटरी, कृति, नापितादिका कर्म (हजामत आदि), ५ अर्थ हैं। ४ 'कर्णिका' (स्त्री) के कानका भूषण ( कनफूल, ऐरन, आदि) हाथीकी सूक, हाथके बीचकी चंगुलि, कमलका छत्सा (जिसमें कमलगटे रहते है), अर्थ हैं। ५ 'वृन्दारकः' (त्रि) के मनोहर या अनेक रूप धारण करनेवाला मायावी, श्रेष्ठ, देवता, ६ अर्थ हैं । 'एक' (नि) के प्रधान, दूसरा, केवल (सिर्फ), पहला अक, १ अर्थ हैं। 'कौकुटिकः' (त्रि) के दम्भ करनेवाला, पाससे चेष्टा आदिको देखनेवाला, २ अर्थ हैं। 'लालाटिक' (नि) के स्वामीके ललाट ( + भाव ) को देखनेवाला (इसलिये कि स्वामी क्या आज्ञा देते हैं, स्वामीका मेरे ऊपर कैसा भाव है,..) भृत्य, काम करने में असमर्थ, २ अर्थ हैं १. यातनाकृरयोः' इति पाठान्तरम् ॥ २. 'प्रमोमविदशी' इति पाठान्तरम् ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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