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________________ संकीर्णवर्गः २] मणिप्रभाव्याख्यासहितः । ४१५ १ विघ्नोऽन्तरायः प्रत्यूहः २ स्यादुपनोऽन्तिकाश्रये ॥ १९ ॥ ३ निवेश उपभोगः स्यात् ४ परिसर्पः परिक्रिया | ५ विधुरं तु प्रविश्लेषे ६ ऽभिप्रायश्छन्द आशयः ॥ २० ॥ ७ संक्षेपणं समसनं ८ पर्यवस्था विरोधनम् । ९ परिचर्या परीसारः १० स्यादास्या त्यासना स्थितिः ॥ २१ ॥ ११ विस्तारो विग्रहो व्यासः १२ स व शब्दस्य विस्तरः । १३ 'संवादनं मर्दनं स्यादू १ विघ्नः, अन्तरायः, प्रत्यूहः ( ३ पु ), विघ्न' के ३ नाम हैं | २ उपघ्नः, अन्तिकाश्रयः ( भा० दी० । २ पु ), 'समीप रहने आश्रय करने' के २ नाम हैं ॥ ३ निर्देशः, उपभोगः ( २ पु ), 'उपभोग' के २ नाम हैं ॥ ५ परिसर्प: (पु), परिक्रिया (स्त्री), 'परिवार आदि इष्टजनों से घिरे रहने' के ४ नाम हैं ! ५ विधुरम् (न ), प्रविश्लेषः (पु), 'परिवार आदि इष्टजनों से अलग होने' के २ नाम हैं ॥ ६ अभिप्रायः, छन्दः, आशयः ( ३ पु० ), 'आशय, भाव, मतलब' के ३ नाम हैं ॥ ७ संक्षेपणम्, सम्सनम् ( २ न ), 'संक्षेप ( लाघव, थोड़ा हलका ) करने' के २ नाम हैं ॥ ८ पर्यवस्था (स्त्री), विरोधनम् ( न ), 'विरोध करने' के २ नाम हैं ॥ ९ परिस (स्त्री), परीसारः ( + परिसारः । पु ), 'सब तरफ जाने' के २ नाम हैं ॥ १० आश्या, आसना, स्थितिः (३ स्त्री) 'टिकाव या स्थिति' के ३ नाम हैं ॥ ११ विस्तारः, विग्रहः व्यासः ( ३ पु ) 'फैलाव' के ३ नाम हैं ॥ १२ विस्तरः ( पु ), 'शब्द के फैलाव' का १ नाम है ॥ १३ संवाहनम् ( + संवहनम् ), मर्दनम् ( २ न ), 'शरीर को दबाने ' के २ नाम हैं । १. 'स्यान्मर्दनं संवहनम्' इति मा० दी० संमतं पाठान्तरम् ॥ For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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