SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 406
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विशेष्यनिग्नवर्ग 1] मणिप्रभाव्याख्यासहितः। १ आशंसुराशंसितरि गृहयालुर्ग्रहीतर। ३ श्रद्धालुः श्रद्धया युक्त पतयालुस्तु पातुके ॥२७॥ ५ लबाशीलेऽपत्रविष्णु ६ र्धन्दाहरभिवादके । ७ शरारुर्घातुको हिंसः ८ स्थावर्विष्णुस्तु वर्धनः ॥ २८॥ ९ उत्पतिष्णुस्तूत्पतिता१०ऽलङ्करिष्णुस्तु मण्डनः । ११ भूष्णुर्विष्णुर्भविता १२ पर्तिष्णुवर्तनः समौ ॥ २६ ॥ १३ निराकरिष्णुः क्षिप्नुः स्यात् आशंसुः, आशंसिता (= आशंसित । २ त्रि), 'अपने मनोरथको पूरा करनेकी इच्छावाले' के नाम हैं । २ गृहयालुः, ग्रहीता ( = ग्रहीत । २ त्रि), 'लेने (प्रहण करने वाले ३ अदालु, (नि), 'भया करनेवाले का । नाम है। " पतयालु, पातुकः (१ त्रि), गिरनेवाले' के नाम हैं। ५हज्जाशीला, अपविष्णुः (१ त्रि), सजाकरनेवाले के बन्दाहा, अभिवादकः ( त्रि), 'प्रणाम (बन्दगी मादि) करने वाले' के नाम है। • शरा, धातुका, त्रिः (३ त्रि), हिंसा करनेवाले' के नाम है। ८ वर्षिष्णुः, वर्धनः (२ त्रि), 'बढ़नेवाले' के २ माम हैं। ९ उत्पतिष्णुः, उस्पतिता ( = उस्पतित् ।। त्रि), 'उछलनेवाले २ नाम ११:अलकरिष्णुः, मण्डनः (२त्रि), 'अलंकृत करनेवलो' के नाम हैं। भूष्णुः, भविष्णुः, मविता ( = भवित । । त्रि) 'होनहार। नाम॥ १९ वर्तिष्णः, वर्तमः (२), 'वर्तने (पवहारमै काने) वाले १ नाम हैं। मिराकरिया, विमुः ( +विष्णुः । २.लि), 'निकालने या पहि कार करनेवाले के नाम हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy