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________________ घश्यवर्ग: ९] मणिप्रभाव्याख्यासहितः। ३३३ १ चक्रीवन्तस्तु बालेया रासभा गर्दभाः खराः॥ ७७ ॥ २ वैदेहकः सार्थवाहो नैगमो वाणिजो वणिक । पण्याजीवो ह्याणिक: क्रयविधायिक सः ॥ ७८ ।। ३ विक्रेता स्याद्विक्रायकः ४ क्रयविक्रायको मौ। ५ वाणिज्यं तु वणिज्यास्या६न्मूल्यं वस्नोऽप्यपक्रयः।। ७९ ॥ ७ नीवी परिपणो मूलधनं ८ लाभोऽधिक फलम् । ९ 'परिवान परीवर्तों नमेनिमयावपिन ८०।। , चक्रीवान् ( = चक्रीवत् ), बालेयः (+ वालेयः), रासमः, गर्दभः, खरः (+करः, शङ्कुकर्णः, वैशाखनन्दनः । ५), 'गदहे' के ५ नाम हैं ।। २ वैदेहका, सार्थवाहः, नैगमः ( +निगमः ), वाणिजः, वणिक ( = व. णिज), पण्याजीवः, भापणिकः, क्रयविक्रयिका (८), 'बनियाँ, व्यापारी के नाम हैं। ३ विक्रेता ( = विक्रेत ), विक्रयिका (२३), 'बेचनेवाले' के २ नाम हैं ।। ४ क्रायका, कयिका ( + क्रेता = क्रेत । पु), 'खरीददार' के नाम हैं। ५ वाणिज्यम् (न), वणिज्या (सी), 'व्यापार के २ नाम हैं । ६ मूल्यम (न), वस्नः, अवक्रयः (२ पु), 'कीमत, दाम' के नाम हैं। ७ नीवी ( + नीविः । स्त्री), परिपणः, मूलधनम् (न) 'ग्यापारमें लगाये हुए मूलधन' के ३ नाम हैं। ८ लामा (पु), अधिकम् , फलम् (२ मा० दी। २ न), 'मुनाफा, फायदा, लाभ' के नाम हैं। ९ परिदानम् ( +प्रतिदानम् । न), परीवत: (+परिवर्तः ) नैमेयः (+वैमेयः), निमयः (+विमयः । ३५), 'किसी पदार्थादिको अदलबदल करने के ४ नाम हैं। १. 'प्रतिदानम्' इति पाठान्तरम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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