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________________ ३२८ अमरकोषः [द्वितीयका१ शत्करिस्तु वत्सः स्यारहग्यवत्सतरौ समौ । ३ आर्षभ्यः षण्डतायोग्यः ४ षण्डो' गोपतिरिटवरः ।। ६२॥ ५ स्कन्धदेशे स्वस्थ वहः ६ सास्ना तु गलकम्बलः । ७ स्यान्नस्तितस्तु नस्योतः ८ प्रष्ठाह युगपाश्वंगः ॥ ६३॥ ९ युगादीनां तु बोढारो युग्यप्रासङ्गथशाकटाः । १० खनति तेन तद्वादास्येदं हालिकसैरिको ॥६॥ १ शकरित, वरसः (२ पु), 'छोटे बछवे के २ नाम हैं। १ दग्या, वत्सतरः (२ पु), 'जोतने के योग्य तैयार हुए बछवे के २ नाम हैं। ३ आर्षभ्यः (पु) 'साँड़ बनाने योग्य बछवे' का नाम है। ४ षण्डः ( + शण्ढः ), गोपतिः, इटचरा ( +इस्वरः। ३ पु), 'स्व. च्छन्द घूमनेवाले साँड़ के ३ नाम हैं। ५ वहः (पु), 'बैलाके कन्धे का नाम है। ६ सास्ना (स्त्री), गलकम्बलः (पु), 'लार' अर्थात् गाय-बैलों के गले में लटकनेवाले चमड़े के २ नाम हैं ॥ ७ मस्तितः, नस्योतः (+ नस्तोतः । २ पु), 'नाथे हुए गो आदि' के २ नाम हैं। प्रष्ठवाड् (=प्रष्ठवाह । +पष्ट वाड् = पष्ठवाह ), युगपार्श्वगः (२ पु), 'पहले पहल बछवेको हलमें चलना सिखलाने के लिये जुभाठमें बाँधे हुए काठ' २ नाम हैं ॥ ९ युग्यः, प्रासमयः, शाकटः (३ पु), 'जुमाठको ढोनेवाले बैल, दमन करने (हलमें चलना सिखलाने) के लिये पहले पहल कन्धे पर रक्खे हुये काठको ढोनेवाले बैल और गाडीको खींचनेगले बैल' का क्रमशः - नाम है ॥ १० हालिका, सैरिकः ( २ पु), 'हलसे खोदे जानेवाले, हलको ढोनेवाले, हलवाहा (हलको चलानेवाला) हलमें चलनेवाले बैल' के २ नाम हैं । १. 'गोपतिरित्वरः' इति पाठान्तरम् ।। २. 'स्कन्धप्रदेशस्तु' इति 'स्कन्धदेशस्त्वस्य' इति च पाठान्तरम् ।। ३. 'नस्तोतः पष्ठवाई' इति पाठान्तरम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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