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________________ वैश्यवर्ग: ९] मणिप्रभाव्यास्यासहितः। ३२७ १ गोमहिण्यादिकं पादबन्धनं २ द्वौ गवीश्चरे । गोमागोमी ३ गोकुलं तु गोधनं स्वादशं बजे ॥ ५८ ॥ ४ त्रिवाशितकवीनं तद् गाशे यत्राशिताः पुरा । ५ उक्षा भद्रो बलीवद ऋत्रमा वृषभ वृधः ॥ ५९ ॥ अनडवान्सौरभेयो गोदाणां संइनिरीक्षकम् । ७ गव्या गोत्रा गर्श ८ वत्सधेन्योल्सकके।। ६०॥ है 'वृषो महान्म होक्षास्याद् १० वृद्धोक्षस्तु जन्यः । ११ उत्पन्न उक्षा जातोक्षः १२ सद्यो जातस्तु तर्णकः ।। ६१॥ पाद बन्धनम् (न), गाय, भैंस, घोडे, गदहे, आद वांधे जाने घाले पशुओं का । नाम है ॥ २ गवीश्वरः, गोमान् ( = गोमत् ), गोमी गोमिन् । ३ पु), 'साँई' के नाम हैं । ३ गोकुलम्, गोधनम् (२न), 'गौओक झुण्ड' के २ नाम हैं । ४ आशिलङ्गवीनम् (त्रि), गौओंके चराने या खिलानेके पुराने स्थान' का नाम है। ५ अक्षा ( = उक्षान् ) भद्रः, बलीवदः (+बरीवर्दः, वलीयदः), ऋषभः, वृषभः, वृषः, अनड्वान् ( = अनाहुह ), सौरभेयः, गौः ( = गो। + शकरा, शाकरः, शाङ्करः, कमान् = ककुद्मत् । ९ पु), 'बैल' के ९ नाम हैं । ६ औचकम् (न), 'बैलोके झुण्ड' का १ नाम है ॥ ७ गज्या, गोत्रा ( २ मी), 'गायोके झुण्ड' के २ नाम हैं । ८ वारसकम् , धैनुकम् (२ न ), बछवों तथा धेनुओं (नई व्याई हुई गायों) के झुण्ड' का क्रमशः १-१ नाम है ॥ ९ महोक्षः (पु), 'बड़े डीलवाले बैल' का । नाम है ॥ १० वृद्धोक्षः, जरद्वः, (२३), 'बूढ़े बैल' के २ नाम हैं। " जातोक्षः (पु), 'बडवेकी अवस्थाको छोड़कर जवान हुए। बैत' का नाम है। १ तर्णकः (पु), 'शीघ्र पैदा हुए बछवे' का १ नाम है। १. 'उक्षा महान्' इति पाठान्तरम् ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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