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________________ अमरकोषः [द्वितीयकाण्डेकुस्तुम्बुरु च' धान्याकरमथ शुण्ठी महौषधम् । स्त्रीनपुंसकयोविश्वं नागरं विश्वभेषजम् ॥३८ ।। २ मारनालकसौवीरकुल्माषाभिपुतानि च। अवन्तिसोमधान्याम्लकुञ्जलानि च' काञ्जिके ॥ ३९ । ३ सहस्रवेधि जतुकं बाह्रीकं हिङ्गु रामठम् । ५ तत्पत्री कारवी पृथ्वी बापिका कबरी पृथुः ।। ४०।। ५ निशाख्या काञ्चनी पीता हरिद्रा वरवणिनी। ६ सामुद्रं यत्तु लवणमक्षीवं शिरं च तत् ॥ ११ ॥ (+धन्याकम् , धान्यकम् , धन्यम् , धनीयकम् , धनेयकम् , धन्या ।३), 'घनियाँ' के नाम हैं। शुण्ठी (+ शुण्ठिः । स्त्री ), महौषधम् , विश्वम् (न स्वी), नागरम् , विश्वमेषजम् (शेष न ), 'सो' के ५ नाम हैं ॥ २ मारनालकम् (+ भारनालम्) सोचीरम , कुक्माषम् , अभिषुतम् (+ कुमाषामिषुतम् ), भवन्तिसोमम् , धान्याम्लम् (+धान्याम्लम्), कुआलम , कालिकम (+ काश्चिकम् । ८ न ), 'कांजी' के ७ नाम हैं । १ सहस्रवेधि (= सहस्रवेधिन् ), जतुकम् , बाहीकम् (+ बह्निकम् ), हिह, रामठम् (५ न ), 'हीग' के ५ नाम हैं। . + स्वपत्री, कारवी, पृथ्वी, बापिका (+वाष्पीका ), कवरी (+कचरी), पृथुः (स्त्री), 'हांगके पेड़के पत्ते के ६ नाम हैं। ५ निशाख्या (+ 'निशा' अर्थात् रातके वाचक सब नाम), कासनी, पीता, हरिद्रा, वरवर्गिनी (५ स्त्री), 'हल्दी के ५ नाम हैं । अचीवम (+ अक्षिवम् ), वशिरम् (+ वसिरम) 'समुद्री नमक' के १नाम हैं। १. 'धान्यकम इति मा० दी. 'धन्यक' इति मुकु० सम्मते पाठान्तरे ॥ २. 'कात्रिके' इति पाठान्तरम् ।। ३. वपत्त्री कारवी पृथ्वी वाष्पीका करी इति पाठान्तरम् ।। ४. 'सिर' इति पाठान्तरम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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