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________________ ३०१ पस्त्रियवर्ग: ] मणिप्रमाव्याख्यासहितः । १ पताका घजयन्ती स्यास्केतनं ध्वजमस्त्रियाम् ॥ ९९ ॥ २ सा वीराशंसनं युद्धभूमिर्याऽतिभयप्रदा। ३ अहं पूर्वमहं पूर्वमित्यहपूर्विका स्त्रियाम् ।। १००॥ ५ आहोपुरुषिका दर्पाद्या स्यात्सम्भावनाऽऽत्मनि । ५ अहमहमिका तु सा स्यात्परस्परं यो भवत्यहङ्कारः ॥ १०१ ।। ६ द्रविणं तरः सहोबलशौर्याणि स्थाम शुष्मं च । शक्तिः पराक्रमः प्राणो ७ विक्रमस्त्वतिशक्तिता ॥ १०२॥ ८ वीरपानं तु यत्पानं वृत्ते भाविनि पा रणे। ९ युद्धमायोधनं जन्यं प्रधनं प्रविदारणम् ।। १०३ ।। । पताका, वैजयन्ती (२ सी), तनम् (न), ध्वजम् (न पु), 'पताका, झण्डे के ४ नाम हैं। (किसीके मससे प्रथम दो नाम उतार्थक और अन्तवाले दो नाम 'पताकाके दण्ड' के हैं)। २ वीराशंसमम् (), 'लड़ाई के मत्यन्त भयङ्कर मैदाम' का नाम है। ३ अहंपूर्विका (बी), 'मैं पहले पहुंचा-मैं पहले पहुंचा ऐसे कहते हुए स्पर्खासे योद्धामोके दौड़ने का नाम है। ४ आहोपुरुषिका (सी), 'अमिमानपूर्वक अपने सामर्थ्यका प्रकट करने का नाम है. ५ अहमहमिका (सी), 'मापसमें महङ्कार करने का । नाम है। द्रविणम् , तरः ( = सरस्), सहः ( = सहस् । + महः = सह पु, सहासी), बलम् , शौयम, स्थाम(= सामन्), शुष्मम् (+शुष्मा - शुष्मन्, पुन । न), शतिः (बी), पराकमा, प्राण: (+ भोजः = भोजस, मर्जी ऊर्जस् । ३३), 'पराक्रम, बस' के नाम है। • विक्रमा (I), अविजिता (सी), 'अधिक बल २ नाम हैं। ८ वीरपानम् (+वीरपाणम् । न), 'लड़ाई में जानेके समय या सड़ाई से लौटनेपर उत्साह को बढ़ाने के लिये मदिरादि-पान करने का नाम है। ९ युबम, बाबोधनम् , बम्बम, प्रथमम् , प्रविदारणम् , मषम् , Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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