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________________ २६६ पश्चियवर्गः .] मणिप्रभाव्याख्यासहितः । १ 'लोहाभिसारोऽस्त्रभृतः राज्ञां नीराजनाविधिः ॥ ९४ ॥ २ यत्सेनयाऽभिगमनमरी तदभिषेणनम् । ३ यात्रा ज्याऽभिनिर्याणं प्रस्थानं गमनं गमः ॥ ९५॥ ४ स्यादासारः 'प्रसरणं५प्रचक्रं चलितार्थकम् । ६ अहितान्प्रत्यभीतस्य रणे यानमभिक्रमः ॥९६ ॥ लोहामिसारः ( + लोहामिहारः। पु), 'लड़ाईके लिये तैयार शस्त्रधारियों या राजाओंकी आरती या आरतीके बादवाले कृत्य. विशेष या युद्धयात्राके पहले की जानेवाली हथियारोकी पूजा' का १ नाम है। १ अभिषेणनम् (न), 'वैरीके सामने सेना-सहित जाने' का नाम है ॥ ३ यात्रा, ज्या (२ स्त्री), अभिनिर्याणम् , प्रस्थानम् , गमनम् (३ न), गमः (पु), 'यात्रा, प्रस्थान, जाने के नाम हैं । ४ भासा (पु), प्रसरणम् ( + प्रसरणी, प्रसरणिः । न) 'सेनाके सब तरफ फैल जाने के २ नाम हैं। (किसी २ के मत से पीछे से आने. वाली सेना' को आसारः और 'घास, भूसा, जल, अन्न और इन्धन भादि इकट्ठा करने के लिये सेनासे बाहर फैलने को प्रसरणम् कहते हैं । ५ प्रचक्रम् , चलितम् (न), 'यात्रा की हुई सेना' के २ नाम हैं। ६ अभिक्रमः ( + अतिक्रमः । पु), 'निडर होकर वैरीके सामने यो. खाके गमन करने का । नाम है ॥ १. 'लोहामिहारो' इति 'नीराजनो विधिः' इति 'नीराजनादिभिः' इति च पाठान्तरराणि । २. 'प्रसरणी' इति पाठान्तरम् ।। ३. विधिोहाभिसारस्तु राशी नीराजनोत्तरः' इत्युक्तेनीरा ननादनन्तरं कमलोहामिसारः, इति मुनिः। 'लोहाभिसारस्तु विधिः परो नीराजनान्नृपैः' इति दर्गोऽपि तथैव । मत एव 'नीराजनादिधिः' इत्येके पठन्ति' इति सौ. स्वा०॥ ४. अनयोमिंन्त्रार्थत्वादेव'निरुद्धवीवषासारवासाराव गा पम्' इति माधः (२०६४) इति क्षी० स्वा० ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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