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________________ क्षत्रियवर्ग: ] मणिप्रभाव्याख्यासहितः। २८५ -१ प्रासङ्गो ना 'युगाधुगः ॥ ५७ ।। २ सर्व स्याद्वाहनं यानं युग्यं पत्त्रं च धारणम् । ३ परम्परावाहनं यत्तद्वैनीतकमस्त्रियाम् । ५८ ॥ ४ आधोरणा हस्तिपका हत्यारोहा निपादिनः । ५ नियन्ता प्राजिता यन्ता सूतः क्षत्ता च सामशिः। ५९ ।। मध्येष्ठदक्षिणस्थौ च संवा रथकुटुम्विनः । ६ रधिनः स्यन्दनारोहा--- १ प्रासः (प्रसङ्गायः पु), महे० मतसे 'रथ आदिके जुआठ, फड़' का और भा. दी० मतसे 'नये बच्चाको पहले पहल शिक्षा देनेके लिये उसके कन्धेपर रखे जानेवाले काष्ठ' का १ नाम है। २ वाहनम् , मानम , युग्यम् , पस्त्रम् , धोरणम् (५) वाहनमात्र' अर्थात् 'हाथी, घोड़ा, इत्यादि (श्लो०३३) से लेकर देला (श्लो ५३) तक सब' के थे ५ नाम हैं ॥ ३ वैनीतकम् ( + प्राबन्धिकम् । न पु), 'परम्परावाली सवारी, कहाँर आदि के द्वारा पारी २ से ढोई जानेवाली पालकी, डोली आदि' का नाम है ॥ ४ आधोरणः, हस्तिपकः, हत्यारोहः, निषादी ( = निषादिन् । ४ पु) 'हाथीवान' के ४ नाम हैं । (किसी के मत से २-२ शब्द एकार्थक है)। ५ नियन्ता (=नियन्त), प्राजिता (प्राजित ), यन्ता ( = यन्त), सूतः, ता ( = क्षत), साथिः, सम्येछुः (सव्येष्ठ! = सव्येष्ठ ), दक्षिणस्थः (८ पु ), 'रथके परिवार' अर्थात् रथ हाँकने वाला ड्राइवर, काधवान, गाड़ीवान, वग्गीवान, एक्कावान और पीछे चदनेवाले जो दौड़कर आगेकी भीड़को हटा कर फि• पीछे चढ़ जाते हैं, इत्यादि के ८ नाम है ॥ ६ रथी ( = रथिन् ) स्यन्दनारोहः (२ पु) 'स्थपर चढ़कर लड़नेवाले' के २ नाम हैं। १. 'युगान्तरम्' इति पाठान्तरम् ॥ २. 'सज्येष्ठदक्षिणस्थौ' इति पाठान्तरम् ।। ३. इ मा नुजिदीक्षितोक्तिः 'युगान्तरम्' इति पाठमङ्गीकृत्येत्यवधेयम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
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