SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 310
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८१ स्त्रियवर्गः ८] मणिप्रभाध्याख्यासहितः । १ पृष्टयः स्थौरी २ सितः कर्को ३ रथ्यो वोढा रथस्य यः। ४ बालः किशोरो ५ वायवा वदवा ६ चाडवं गणे ॥ ४६॥ ७ विघ्यावीनं यदश्वेन दिननैकेन गम्यते । ८ कश्यं तु मध्यमश्वानां ९ हेषा हेषा च निस्वनः ।। ४७॥ १० निगालस्तु गलोहशो ११ वृन्दे त्वश्वीयमाश्ववत् । १२ आस्कन्दितं 'धौस्तिकं रेचितं वल्गितं प्लुतम् ॥४८॥ १ पृष्टयः, स्थौरी (= स्थौरिन् । १ पु), 'अन्न बादि जिसपर लादा जाय उस घोड़े के २ नाम हैं । २ कः (पु), 'सफेद घोड़े का १ नाम है ॥ २ रथ्यः (पु), 'रथमें चलनेवाले घोड़े का । नाम है ॥ ४ किशोरः (पु), 'बछेड़ा' अर्थात् 'बच्चे घोड़े' का १ नाम है। ('उपलक्षणतया 'किशोर' शब्द मनुष्यादिक बालकका भी वाचक है')॥ ५ वामी, अश्वा, वडवा (३ स्त्री), 'घोड़ी' के ३ नाम हैं । ६ वाहवम् (न), 'घोड़ियों के झुण्ड' का । नाम है ॥ ७ आश्वीनम् (त्रि), 'एक दिनमें घोड़ेसे चलने योग्य रास्ता या देशादि' का । नाम है। ८ कश्यम् (न), घोड़ेके मध्य भाग' का । नाम है ॥ ९ हेषा, हेषा (२ स्त्री), 'हिनहिनाहट, घोड़की बोली' के २ नाम है। १० 'निगालः, गलोद्देशः (भा० दी । २ पु), 'घोड़े की गर्दन के पोछेवाले भाग' के २ नाम हैं । "अश्वीयम् (+ आश्वीयम्), आश्चम(न), घोड़ोंके झुण्ड'के २ नाम । १२ मारकन्दितम् (+ उत्तेरितम् , उपकण्ठम् ), धीरितकम् (+धोरितकम , धोरितम् , धौर्यम् , धारणम् ), रेचितम् (+ उत्तेजितम् ) वरिगतम् , १. धोरितकं ति पाठान्तरम् ॥ २. अश्वशाने निगालक्षणमुक्तन्तद्यथा घण्टाबन्धसमीपस्थो निगालः कथ्यते पुषैः' इति । Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy