SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 234
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मनुष्यवर्गः ६] मणिप्रभाव्याख्यासहितः । २०५ -१ कच्छां तु पामा पामा विचर्चिका । २ कण्डूः बर्जुश्च कण्डूया ३ विस्फोटः 'पिटकः स्त्रियाम् ॥ ५३ ॥ ४ वणोऽस्त्रियामीर्ममा क्लीबे ५ नाडीवणः पुमान् । ६ कोठो मण्डलकं ७ कुष्ठश्वित्रे ८ दुर्नामकार्शसी ॥५४॥ ९ आनाहस्तु विबन्धः स्याद् १० ग्रहणी रुक्प्रवाहिका । ११ प्रच्छर्दिका वमिश्च स्त्री पुमांस्तु वमथुः समाः ।। ५५ ॥ कक्छुःपामा (= पामन् , ' न ), पामा, विचर्चिका (४ स्त्री), 'गीली खुजली या खसरा' के ४ नाम हैं । २ कण्डः (+ कण्डः ), खजू, कण्डूया ( ३ स्त्री), 'खाज या खुजलाहट' के ३ नाम हैं। ३ विस्फोटः, पिटकः ( २ पु स्त्री । स्त्री० में 'विस्फोटा. पिटिका। + विटिका । + २ त्रि), 'फोड़ा' के २ नाम हैं । ४ वणः(न), ईर्मम्, अरु: ( अरुस ।२ न), 'घाव या वण' के नाम हैं। ५ नाडीव्रणः (पु), 'सइन' अर्थात् 'सर्वदा पीब बहानेवाले बण-विशेष' का , नाम है। ६ कोठः (पु), मण्डलकम् (न) भा. दो० मतसे 'गजकर्ण रोग' 'अर्थात् 'जिससे शरीरमें गोले २ चकत्ते पड़ जायें उस रोग के २ नाम हैं। ७ कुष्ठम्, श्वित्रम् (२ न), भा. दी० मतसे 'सफेद कोट' अर्थात् 'चरक फूटने के २ नाम हैं । ("महे० मतसे 'कोठा,..." ४ नाम 'सफेद कोढ़' ८ दुर्नामकम्, अर्शः ( = भर्शस् । + अर्श । २ न), 'बवासीर' के २ नाम हैं। ___९ आनाहः, विबन्धः ( + विबन्धः। २ पु), 'जिसमें मल और मूत्र रुक जायं उस रोग' के २ नाम हैं । .१० ग्रहणी ( + ग्रहणिः, ग्रहणीरुक , = ग्रहणीरुज ) प्रवाहिका (२ सी), 'संग्रहणी' के २ नाम हैं। " प्रच्छर्दिका, वमिः ( + वमी, स्त्री; वमः, पु। २ स्त्री), वमथुः (पु), 'धमन या उल्टी' के ३ नाम हैं । १. "पिटकलिषु" इति मा० दी० बी० स्वा० सम्मतं पाठान्तरम् ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016095
Book TitleAmar Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHargovind Shastri
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1968
Total Pages742
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy